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जजों की नियुक्ति में नियमों का पालन नहीं कर रहे हाईकोर्ट

जजों की नियुक्ति में नियमों का पालन नहीं कर रहे हाईकोर्ट

नई दिल्ली। समय से जज की नियुक्ति के लिए 27 साल पहले बने नियमों का उच्च न्यायालयों द्वारा पालन नहीं किया जा रहा। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देशभर के उच्च न्यायालयों में 30 फीसदी से अधिक जज के पद खाली हैं।

देश में सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में 50 फीसदी जज के पद खाली हैं। आंकड़ों के मुताबिक 28 मार्च, 2025 तक देशभर के सभी 25 उच्च न्यायालयों में जज के स्वीकृत पदों की कुल संख्या 1122 में से महज 767 फिलहाल कार्यरत हैं। यानी देशभर के उच्च न्यायालयों में जज 355 जज के पद खाली हैं।

अस्थायी जज की नियुक्ति को नहीं मिले प्रस्ताव

कानून मंत्रालय के अनुसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा उच्च न्यायालयों में अस्थाई जज की नियुक्ति के लिए कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के उच्च न्यायालयों में मुकदमों का बोझ कम करने के लिए इसी साल 30 जनवरी को अस्थाई जज की नियुक्ति की राह आसान कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने पुराने फैसले को वापस लेते हुए कहा था कि उच्च न्यायालयों में 20 फीसदी से कम रिक्तियां होने के बाद भी अस्थायी जज की नियुक्ति होगी।

हाईकोर्ट द्वारा समय सीमा का पालन नहीं हो रहा


राज्यसभा को दी गई सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि 27 साल पहले तैयार की गई एमओपी के अनुसार, उच्च न्यायालयों को जज के पद रिक्त होने से कम से कम 6 माह पहले ही नियुक्ति के लिए सिफारिशें करने की जरूरत है। गौरतलब है कि संसद के बीते सत्र में कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा था कि जज की समय से नियुक्ति के लिए शायद ही किसी हाईकोर्ट द्वारा इस समय सीमा का पालन किया हो।


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