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उत्तर प्रदेश: 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती में नया मोड़, 5,509 अभ्यर्थियों का डाटा सामने आया

**उत्तर प्रदेश: 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती में नया मोड़, 5,509 अभ्यर्थियों का डाटा सामने आया**



*लखनऊ, 3 मई 2025*: उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में एक नया अपडेट सामने आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 22 दिसंबर 2018 के बाद बीटीसी बैक पेपर परीक्षा में उत्तीर्ण हुए अभ्यर्थियों का डाटा बेसिक शिक्षा विभाग को प्राप्त हो गया है। इस डाटा में 57 जिलों से कुल 5,509 अभ्यर्थियों की जानकारी शामिल है, और संभावना जताई जा रही है कि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। यह जानकारी भर्ती प्रक्रिया में पात्रता को लेकर चल रही चर्चाओं को और गति दे रही है।






**क्या है मामला?**



69,000 सहायक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन 5 दिसंबर 2018 को जारी किया गया था, और इसके लिए लिखित परीक्षा 6 जनवरी 2019 को आयोजित हुई थी। भर्ती प्रक्रिया में पात्रता के लिए 22 दिसंबर 2018 तक बीटीसी परीक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य था। हालांकि, कुछ अभ्यर्थी जो इस तिथि तक बीटीसी परीक्षा में अनुत्तीर्ण थे, लेकिन बाद में बैक पेपर के माध्यम से उत्तीर्ण हुए, उनकी पात्रता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर अब विभाग की नजर है, और डाटा संकलन के बाद सरकार के अगले कदम पर सभी की निगाहें टिकी हैं।






**विभाग ने मांगा था डाटा**



हाल ही में बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से उन चयनित अभ्यर्थियों की जानकारी मांगी थी, जो 22 दिसंबर 2018 के बाद बैक पेपर के जरिए बीटीसी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए। इसके जवाब में 57 जिलों से 5,509 अभ्यर्थियों का डाटा विभाग को प्राप्त हुआ है। सूत्रों के अनुसार, यह आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि कुछ जिलों से अभी भी जानकारी संकलित की जा रही है।






**क्या होगा अगला कदम?**



इस डाटा के आधार पर सरकार को यह तय करना है कि इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति वैध है या नहीं। यदि इन अभ्यर्थियों की पात्रता पर सवाल उठता है, तो उनकी नियुक्ति रद्द हो सकती है, जिससे भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। दूसरी ओर, अभ्यर्थियों का कहना है कि बैक पेपर के जरिए उत्तीर्ण होने के बावजूद उनकी शैक्षिक योग्यता पूरी तरह से नियमों के अनुरूप है।






**अभ्यर्थियों में बेचैनी**



इस खबर के बाद उन अभ्यर्थियों में बेचैनी बढ़ गई है, जो पिछले पांच वर्षों से इस भर्ती के तहत शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। सोशल मीडिया पर कई अभ्यर्थी अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं और सरकार से पारदर्शी निर्णय की मांग कर रहे हैं। कुछ अभ्यर्थियों ने यह भी कहा है कि यदि उनकी नियुक्ति रद्द होती है, तो वे कानूनी रास्ता अपनाने को तैयार हैं।






**सरकार पर दबाव**



69,000 शिक्षक भर्ती पहले भी आरक्षण विवाद और अन्य अनियमितताओं के कारण सुर्खियों में रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त 2024 में इस भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर नई लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया। अब बैक पेपर वाले अभ्यर्थियों का मुद्दा इस मामले को और जटिल बना रहा है।






**आगे क्या?**



बेसिक शिक्षा विभाग अब इस डाटा का विश्लेषण करेगा और कानूनी सलाह के आधार पर अगला कदम उठाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इस मामले में सावधानीपूर्वक निर्णय लेगी, ताकि न तो अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हो और न ही भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठे।






इस बीच, अभ्यर्थी और शिक्षा विभाग से जुड़े लोग सरकार के अगले फैसले का इंतजार कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह नया डाटा भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव का कारण बनेगा या मामला शांतिपूर्ण ढंग से सुलझ जाएगा।




नोट: यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट और उपलब्ध जानकारी के आधार पर तैयार की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे आधिकारिक सूचना की पुष्टि अवश्य करें।(https://x.com/deeksha_btc/status/1918331889666146638)[](https://x.com/RahulKumarjjk/status/1918323751399121255)

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