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बेसिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक का काम कर रहे शिक्षकों को हेड मास्टर पद का वेतन पाने का अधिकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि लंबे समय से प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हेड मास्टर पद की जिम्मेदारी संभाल रहे सहायक अध्यापक हेड मास्टर पद का वेतन पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि ऐसे सहायक अध्यापक जिनके पास पांच वर्ष का अनुभव है और वह वास्तव में हेड मास्टर के पद पर संस्थान में काम कर रहे हैं उनको हेड मास्टर पद के वेतन का भुगतान किया जाए। हालांकि की कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है की लंबे समय से हेड मास्टर पद की जिम्मेदारी संभालने के बावजूद याचियो को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के तीन वर्ष पूर्व से ही बकाया एरियर का भुगतान किया जाएगा। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि वह हेड मास्टर पद की जिम्मेदारी सिर्फ वरिष्ठ सहायक अध्यापकों को ही सौंपे।

सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की दर्जनों विशेष अपीलों को निस्तारित करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीन कुमार गिरी की खंडपीठ ने दिया है। बेसिक शिक्षा परिषद की विशेष अपील में एकल न्याय पीठ के उसे आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एकल पीठ ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यवाहक हेड मास्टर के पद पर कार्य कर रहे अध्यापकों को हेड मास्टर पद का वेतन देने का आदेश दिया था। एकल पीठ ने ऐसे अध्यापकों को उच्च वेतन मान पाने का हकदार माना था जो 2014 अथवा लंबे समय से हेड मास्टर पद का काम देख रहे हैं मगर उनको सहायक अध्यापक का ही वेतन दिया जा रहा था।

परिषद की अपील में कहा गया की विद्यालयों में अध्यापकों की संख्या शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 द्वारा संचालित होती है जिसमें छात्र संख्या के हिसाब से विद्यालय में अध्यापकों की न्यूनतम संख्या का निर्धारण किया गया है। ज्यादातर प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या 150 और जूनियर हाई स्कूल में 100 से कम है इसलिए वहां हेड मास्टर का कोई पद नहीं है ऐसे में हेड मास्टर पद का वेतन देने का प्रश्न नहीं उठाता है । ज्यादातर विद्यालयों में हेड मास्टर की आवश्यकता नहीं है।

इसका विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वीके सिंह और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि जहां प्रबंधन किसी व्यक्ति को उच्च पद पर प्रोन्नत करता है तो संबंधित कर्मचारियों को उस पद की जिम्मेदारियां का भी निर्वहन करना होता है। इसलिए वह उस प्रोन्नत पद का वेतन पाने का हकदार है। यह भी कहा गया कि सभी याचीगण प्रतियोगी परीक्षा पास करके सहायक अध्यापक चयनित हुए हैं तथा पद की सभी अहर्ताएं रखते हैं। वह हेड मास्टर होने के योग्य हैं। याचीगण की नियुक्ति 2014 में एनसीटीई द्वारा किए गए संशोधन से पूर्व में हुई है इसलिए उन पर टीईटी उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता लागू नहीं होती है।

कोर्ट ने कहा कि आरटीई एक्ट 2009 में न्यूनतम संख्या का निर्धारण इसलिए किया गया है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके। एक्ट में ऐसा कुछ नहीं है कि छात्रों की संख्या कम होने से पद अपने आप काम हो जाएंगे। कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए याचियो को हेड मास्टर पद के वेतन का भुगतान का निर्देश दिया है।

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