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विस्तृत आदेश के बजाए कर्मचारियों को सारांश दे रहे अधिकारी, BSA की कार्यशैली पर नाराजगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि बीएसए कर्मचारियों को विस्तृत आदेश (स्पीकिंग ऑर्डर) देने के बजाए आदेश का सारांश देते हैं। आदेश का सारांश विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाता और मूल प्रति नहीं दी जाती है। इसकी वजह से कर्मचारियों को अदालत आना पड़ता है। कोर्ट ने ऐसा ही काम करने पर बीएसए कौशाम्बी पर दो हज़ार रुपये हर्जाना लगाया है।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने वंदना सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का कहना था कि उन्हें केवल कार्यालय ज्ञापन दिया गया, जबकि स्पीकिंग ऑर्डर की प्रति नहीं सौंपी गई। ऐसे में यदि ज्ञापन रद्द भी हो जाए तो स्पीकिंग ऑर्डरको अलग से चुनौती देनी होगी। प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट में आश्वासन दिया कि 72 घंटे के भीतर स्पीकिंग ऑर्डर की प्रति उपलब्ध करा दी जाएगी। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी साथ ही याचिकाकर्ता को उचित लगे तो स्पीकिंग ऑर्डर को चुनौती देने की अनुमति भी दी।

कोर्ट ने इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी, कौशाम्बी पर 2000 रुपये का हर्जाना लगाया और आदेश दिया कि यह राशि स्पीकिंग ऑर्डर की प्रति के साथ याचिकाकर्ता को दी जाए। साथ ही, बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देशित किया कि भविष्य में आदेश अपलोड करने से पहले उसकी प्रति संबंधित कर्मचारी को देना अनिवार्य किया जाए।

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