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इंचार्ज अध्यापक मुद्दा ~ कोर्ट आर्डर और हिमांशु राणा के विचार

इंचार्ज अध्यापक मुद्दा ~


सर्वप्रथम आपको बता दूँ मैं कि सोशल मीडिया नहीं चला रहा हूँ तो मेरे नाम से भ्रामक ख़बरों से दूर रहें।

अब बात करते हैं इसमें क्या हुआ, होना क्या है हमेशा से जो कहा है वही हुआ है, जिले की वरिष्ठता को कोई नकार नही सकता है यानी जो जिले में वरिष्ठ है उससे ऊपर वेतन कनिष्ठ जो कि इंचार्ज है वो ले ले ऐसा नहीं हो सकता है।

इसके अलावा सरकार का दोहरा मापदंड सामने आया इस केस में TET की guidelines को mandatory बताते हुए TET उत्तीर्ण इंचार्ज को ही headmaster के बराबर वेतन देने को कह रही है उधर जब पदोन्नत्ति का GO निकाला था और मैं पदोन्नत्ति पर स्टे करवाया था तब बिना TET वालों के समर्थन में थी।






ऐसे शिक्षक जो लम्बे समय से इंचार्ज के पदों पर कार्य करते आ रहे हैं पाँच वर्ष की अवधि भी पूर्ण कर लिए थे और साथ ही TET उत्तीर्ण (भविष्य ये मैं मुद्दा बनाऊँगा) होंगे वही headmaster के बराबर वेतन पाने के हक़दार होंगे क्योंकि SWSP के साथ RTE में बराबर की qualifications भी चाहिए होंगी।






अभी BSA को साफ़ कर दिया है कि दो माह में इस प्रक्रिया को अंजाम दें लेकिन सरकार SC जाएगी, मैं पुनः कह रहा हूँ वरिष्ठ का वेतन कनिष्ठ से कम नहीं हो सकता है और ये निर्धारण BSA को करना होगा अब अगर कोई ऐसा शिक्षक जो कि कनिष्ठ है और वरिष्ठ से अधिक वेतन पा जाता है तो फिर BSA की आफ़त आएगी और पूर्व में ऐसे मुद्दे चल भी रहे हैं। जब स्थानांतरण होकर जिले में आते हैं तो वरिष्ठता कम होती है तो क्यों या अभी जो स्थानांतरण हेड के रोके गए थे उसमें भी तो BSA यही कह रहे थे।






फ़िलहाल मज़े लीजिए और वाक़ई जो पात्र हैं वे लगातार BSA से पत्राचार कीजिए।






एक बात और इंचार्ज वाले में सरकार को ऐसा करना पड़ता है तो फिर पदोन्नत्ति भी चली जाएगी और तब तक नहीं होगी जब तक ये सरकार और इसके अधिकारी नहीं चाहेंगे। ये अभी भी 150,100 PTR को मुद्दा बना ही रहे हैं।





#rana






हिमांशु राणा

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