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पुरानी पेंशन बहाली की मांग फिर तेज, यूपीएस को कर्मचारियों ने नकारा

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तहत राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में शामिल लगभग 30 लाख कर्मचारियों में से केवल 30,000 ने ही एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) का विकल्प चुना है। इसके चलते पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर लामबंद होने की तैयारी में हैं और सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बना रहे हैं।

केंद्र सरकार ने एनपीएस कर्मचारियों को 30 जून तक यूपीएस में शामिल होने का विकल्प दिया था। इसके लिए 20 मई को यूपीएस कैलकुलेटर भी लॉन्च किया गया, ताकि कर्मचारी एनपीएस और यूपीएस के पेंशन लाभों की तुलना कर सकें। हालांकि, कर्मचारियों का रुझान यूपीएस की ओर बेहद कम रहा है। 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने कहा कि यूपीएस के प्रावधान कर्मचारियों को रास नहीं आ रहे। दो महीने बीतने के बावजूद केवल 2% कर्मचारियों ने ही यूपीएस को चुना, जो इस योजना की नाकामी को दर्शाता है।


यूपीएस की अनिश्चितता बनी वजह

डॉ. पटेल के अनुसार, यूपीएस की सबसे बड़ी खामी इसकी अनिश्चितता है। 20-25 साल बाद रिटायरमेंट के समय एनपीएस और यूपीएस में से क्या बेहतर होगा, यह तय करना असंभव है। वेतन आयोग, महंगाई भत्ता और अन्य भत्तों की अनिश्चितता इस फैसले को और जटिल बनाती है। केवल रिटायरमेंट के करीब या रिटायर हो चुके कर्मचारी ही इसकी तुलना कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि यूपीएस में पेंशन की गणना में कर्मचारी की आयु और जीवन प्रत्याशा महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, 30-35 साल की नौकरी के बाद रिटायर होने वाला कर्मचारी अगर यूपीएस में अपना अंशदान निकाल लेता है, तो उसे अंतिम औसत वेतन का 50% की जगह केवल 30% पेंशन मिलेगी। यदि कर्मचारी की मृत्यु जल्दी हो जाए, तो उनकी पत्नी को मात्र 18% पेंशन मिलेगी, और उनके बाद कोई लाभ नहीं बचेगा। इसके लिए कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद कम से कम 16 साल जीवित रहना होगा, जो कोई गारंटी नहीं दे सकता।

एनपीएस बनाम यूपीएस: एक उदाहरण

डॉ. पटेल ने एक उदाहरण से समझाया। यदि कोई कर्मचारी 2008 से 2043 तक 34 साल नौकरी करता है, तो एनपीएस में उसका कुल कॉर्पस 3.5 करोड़ रुपये होगा, जिसमें से 2.1 करोड़ रुपये उसे मिलेंगे और 70,000 रुपये मासिक पेंशन मिलेगी। मृत्यु के बाद पत्नी को भी इतनी ही पेंशन मिलेगी, और नॉमिनी को 1.4 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।

वहीं, यूपीएस में कॉर्पस 2.91 करोड़ रुपये होगा। कर्मचारी 1.47 करोड़ रुपये (अंशदान और एकमुश्त राशि) निकाल सकता है, लेकिन पेंशन 1.10 लाख रुपये (डीए सहित) होगी। यह तभी फायदेमंद है, जब कर्मचारी लंबे समय तक जीवित रहे। यदि उनकी मृत्यु जल्दी हो जाए, तो पत्नी को केवल 66,600 रुपये (डीए सहित) मिलेंगे और नॉमिनी के लिए कोई फंड नहीं बचेगा।

कर्मचारी संगठनों का रुख

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव और स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य सी. श्रीकुमार ने कहा कि यूपीएस के प्रति कर्मचारियों का रुझान बेहद कम है। कर्मचारी एनपीएस और यूपीएस की जटिलताओं में नहीं पड़ना चाहते और उनकी एकमात्र मांग पुरानी पेंशन की बहाली है। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने भी कहा कि 10% कर्मचारी भी यूपीएस में शामिल नहीं हुए, जो इसकी असफलता का सबूत है।

सरकार के सामने चुनौती

कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यूपीएस को आकर्षक बनाने के लिए सरकार को सेवानिवृत्ति से ठीक पहले विकल्प चुनने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि कर्मचारी अपनी पारिवारिक और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर फैसला ले सकें। जेसीएम की बैठक में भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग जोर-शोर से उठाई गई है। कर्मचारी संगठन अब आंदोलन की तैयारी में हैं, और यह मुद्दा आने वाले समय में और गर्माने की संभावना है।

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