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भारी स्कूली बैग से बच्चों की रीढ़ में बन रहा कूबड़

कानपुर। बच्चों के भारी बैग उन्हें सर्वाइकल की दिक्कत दे रहे हैं। बच्चों की रीढ़ पर वजनदार बैग दबाव डालते हैं जिससे उन्हें काइफोसिस (कूबड़) की समस्या हो रही है। इसमें सर्वाइकल के नीचे हड्डी में कूबड़ जैसा निकल आता है। हैलट और निजी अस्पतालों में रोजाना इनसे 30 से 40 बच्चे ये समस्या लेकर आ रहे हैं।



विशेषज्ञों के अनुसार, यह एक ऐसी समस्या है जो अगर बचपन में ही ठीक न की जाए तो जीवन भर व्यक्ति के लिए शारीरिक और मानसिक परेशानियों का कारण बन सकती है।

हैलट के फिजियोथैरेपी विभाग की फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. भावना सिंह ने बताया कि भारी बैग के अलावा बच्चों का स्कूल में घंटों एक ही तरह से बैठना, कोचिंग घर में उसी मुद्रा में बैठकर पढ़ाई करना और झुककर मोबाइल देखने के कारण रीढ़ प्रभावित हो रही है। जरूरी है कि बच्चे सही मुद्रा में बैठें। हर दो घंटे में एक ब्रेक लें या स्ट्रेचिंग कर लें। फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. उमेश मिश्रा ने कहा कि कुछ समय से काइफोसिस के मामले बच्चों में बहुत बढ़ गए हैं। आजकल बच्चे घंटों तक मोबाइल और कंप्यूटर पर झुककर काम करते हैं। इससे उनकी पीठ की मांसपेशियों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है और रीढ़ की हड्डी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने कहा कि बच्चों के बैठने का तरीका सही रखें और व्यायाम करें तो ये समस्या नहीं होगी। अभिभावक बच्चों की शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान दें। मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रखें और उन्हें खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चों की डाइट में कैल्शियम और विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें।

कानपुर फिजियोथैरेपी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अमित मिश्रा ने बताया कि निजी अस्पतालों व क्लीनिकों में भी काइफोसिस के मामले आ रहे हैं। इनमें बच्चों में कूबड़ निकलने जैसी स्थिति बन जाती है।

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