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शिक्षामित्रों को नियमित करने की उठी मांग


लखनऊ। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने मांग की है कि सरकार शिक्षक नियमावली में संशोधन करके शिक्षामित्रों को नियमित करे। इससे 25 वर्ष से प्राथमिक स्कूलों में सेवा दे रहे शिक्षामित्र व उनका परिवार सम्मान के साथ गुजारा कर सकेगा। प्रदेश के अधिकांश शिक्षामित्र के पास शिक्षक बनने कि पूरी योग्यता है। राजधानी में दारुलशफा में हुई प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि 10 हजार रुपये मानदेय में परिवार का भरण पोषण संभव नहीं है। सरकार के हर नियमों का पालन करते हुए शिक्षामित्रों ने अपनी सर्वोच्च योगदान प्राथमिक शिक्षा के उत्थान के लिए दें रहें है। 27 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के बाद से लगातार शिक्षामित्र अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचा रहें है लेकिन जिम्मेदार सुनने को तैयार नहीं है। जबकि प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षक के बराबर काम शिक्षामित्रों से लिया जाता है। प्रदेश महामंत्री संदीप

दत्त ने कहा कि शिक्षामित्र प्राथमिक शिक्षा की रीढ़ हैं। उनकी उपेक्षा हो रही है। दो महीने बाद भी समर कैम्प में ड्यूटी करने वाले अनुदेशको व शिक्षा मित्रों को मानदेय अब तक नहीं मिला है। उपाध्यक्ष रश्मि कांत ने कहा कि 28 मार्च 2004 के पूर्व विग्यप्ति के आधार पर चयनित शिक्षकों को सरकार पुरानी पेंशन दें। उन्होंने मांग कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के निर्णय लागू करते हुए प्रदेश के हजारों शिक्षकों को पूर्ण प्रधानाध्यापक का वेतन मिले, जो परिषद के विद्यालयों में प्रभारी इंचार्ज के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार विद्यालयों को सुदृढ़ करने के लिए लाखों का प्रोजेक्ट दे रही है। सुरक्षा की दृष्टि से मानदेय पर चौकीदार नियुक्त किया जाए, ताकि विद्यालय व उपकरण की सुरक्षा हो सके। बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मेंद्र, हृदेश दुबे, सुधोसकर, विनय सिंह, धर्मपाल सिंह, अजित सिंह, अजित पाटिल, अरविंद यादव, अमित सिंह आदि उपस्थित थे।

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