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✍️ गरीबी से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी तक: एक संघर्ष की कहानी

मेरे किसी खास परिचित स्नेही जन ने कहा आप अपनी कहानी क्यों नहीं लिखते मैंने बोला क्या लिखूं, लोग पढ़कर क्या करेंगे, और फिर मेरे बारे में जो सोचेंगे उसका तो भगवान ही मालिक हैं, फिर उन्होंने कहा नहीं आपको अपनी कहानी बतानी चाहिए, मैंने, कहा कि इससे समाज को मिलेगा क्या, क्या सीखने को मिलेगा, क्यों अपनी कहानी बताओ, उन्होंने कहा नहीं कहना चाहिए, मैंने कहा क्या यही कि मैं बहुत ही सामान्य से परिवेश में एक गरीबी और मुफलिसी की हालत में एक सरकारी परिषदीय प्राथमिक स्कूल से शिक्षा ग्रहण किया, कि हमारे पास बरसात के मौसम में सर को ढकने के लिए छाते नहीं होते थे, हम लोग स्कूल पर जाने के लिए जो बोरी अपने साथ ले जाते थे जब बरसात हो जाती थी तो लौटते समय उसी को अपने छाते के रूप में इस्तेमाल करते थे, और यह करना बरसात से अपना बचाव का उपाय करना यह बहुत गौरव का विषय माना जाता था, क्या यह बताऊं कि यह आदमी पता नहीं किस परिषदीय स्कूल में पढ़ा होगा, पता नहीं कैसे स्कूल में पढ़ा होगा पता नहीं कैसे इसने सरकारी स्कूल में अपना वक्त काटा होगा, कहीं में लोगों के बीच में हँसी और उपहास का पात्र तो नहीं बन जाऊंगा ये सब बताने से, क्या मैं यह बताऊँ कि मैं गाय चराने जाता था, भैसे रहने जाता था, सुदूर बियावान में खुले आसमान के नीचे और जब बरसात होती थी तो 80, की स्पीड में गाय भैंस को लेकर घर की तरफ दौड़ता था, ताकि बिजली से अपने आप को और पशुओं को भी सुरक्षित रख पाऊं, जब मुझे कक्षा 5 तक क,ख नहीं आता। था, उस समय मैं दीवाल के पीछे छुपने की कोशिश करता था ताकि किसी शिक्षक की नजर न पड़ जाए। मुझे उठा ना दें कुछ पूछने के लिए, और बताओ मैं अपने बारे में क्या क्या बताऊं, मुझे शर्म आती है लेकिन बताना ही पड़ेगा क्या क्या बताऊँ कि जब मैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने गया तो मेरी पहली रात रोडवेज पर गुजरी क्योंकि मेरा कोई परिचित और दोस्त नहीं था, उस इतने बड़े शहर तब के इलाहाबाद और अब के प्रयागराज में, फिर मेरे एक दोस्त ने मुझे सहारा दिया और आगे का रास्ता दिखाया, मैं, क्या बताऊँ? लोग ऐसी कहानी सुनकर करेंगे क्या न न तो में कोई कोई राजा या कि कोई राजकुमार, किसी कहानी का नायक तो नहीं मैं, एक आम आदमी आम आदमी की कहानी सुनकर लोग क्या करेंगे ऐसा तो नहीं है लोग मेरी कहानी सुनकर उस कहानी पर सजदा करेंगे , उसको सम्मानित करेंगे या कि लोग मुझसे घृणा करेंगे नफरत करेंगे, लेकिन ये बात और है, हो सकता है मेरी कहानी से कुछ लोगों कि जिंदगी में जान आ जाए जिनकी जिंदगी में कोई सहारा न हो और वो जीवन मौत से संघर्ष कर रहे हैं और उनको लगता है कि वो कुछ कर सकते हो। और उनके अंदर फिर से ये भावना जाग उठे नहीं मुझे कुछ करना है, यही करना है, इस जगत में कुछ करके दिखाना है, जो कुछ भी है यही है, और मैं कुछ बेहतर करूंगा।



जय हिंद जय भारत जय शिक्षक




राकेश सिंह

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी

अलीगढ़

23/8/25

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