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कानूनी अड़चन के कारण फंसा डीएलएड का प्रवेश

प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए अनिवार्य डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) या पूर्व में बीटीसी प्रशिक्षण के 2025-26 शैक्षणिक सत्र का प्रवेश कानूनी अड़चनों के कारण फंस गया है। पिछले साल हाईकोर्ट ने डीएलएड प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट की जगह स्नातक करने संबंधी राज्य सरकार के शासनादेश को रद कर दिया था।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना के मुताबिक 12वीं के बाद डीएलएड का प्रशिक्षण होना चाहिए हालांकि उत्तर प्रदेश में स्नातक पास अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जाता था।

चूंकि पिछले साल हाईकोर्ट का आदेश आने से पहले ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी तो याचिका करने वाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग में शामिल होने का मौका देते हुए प्रवेश पूरे कर लिए गए थे लेकिन यह मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है और यही कारण है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से प्रवेश के लिए प्रस्ताव शासन को नहीं भेजा जा रहा है। हाईकोर्ट से कोई निर्णय होने के बाद ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। डीएलएड में प्रवेश के लिए हर साल आमतौर पर ऑनलाइन आवेदन मई या जून में शुरू हो जाते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो प्रवेश प्रक्रिया पहले ही तीन महीने पिछड़ चुकी है। प्रदेश के 67 डायट की 10600 व 2974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 कुल 2,33,350 सीटें हैं।

काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए थे याचिकाकर्ता

12वीं के बाद डीएलएड में प्रवेश के लिए याचिका करने वाले यशांक खंडेलवाल और नौ अन्य अभ्यर्थी में से कोई भी प्रवेश के लिए काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुआ था। पिछले साल परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने इन याचिकाकर्ताओं को पत्र भेजकर काउंसिलिंग में शामिल होने को कहा था लेकिन कोई नहीं आया था।

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