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जबरन उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक को अब सिर्फ मूल वेतन मिलेगा, BSA ने हिदायत के साथ किया बहाल

यूपी के अमेठी से पिछले दिनों एक उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक पर छात्रों को जबरन उर्दू पढ़ाने, प्रार्थना में हाथ जोड़ने से मना करने, भारत माता की जय न बोलने देने और वंदे मातरम का नारा लगाने से मना करने का आरोप लगा था। शिक्षक को सस्पेंड कर दिया गया था। अब जांच के बाद आरोप सिद्ध हो गया है तो बेसिक शिक्षा अधिकारी ने नया ऐक्शन लिया है। शिक्षक को मूल वेतन पर कर दिया गया है। इसके साथ उन्हें भविष्य में ऐसी कोई हरकत न करने की हिदायत दी गई है।

मामला अमेठी के मुसाफिरखाना विकास क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय पिंडारा महाराज का है। यहां सहायक अध्यापक पद पर तैनात मोबीन अहमद पर विभाग ने बड़ी गाज गिराई है। अनुशासनहीनता और सामाजिक विद्वेष बिगाड़ने का आरोप सिद्ध होने पर बीएसए ने शिक्षक मोबीन अहमद को मूल वेतन पर कर दिया है। शिक्षक मोबीन अहमद पर पद की गरिमा को तार तार करने का आरोप लगा था। आरोपों के मुताबिक वह कभी भी प्रार्थना सभा में उपस्थित नहीं रहते थे। इसके साथ ही बच्चों को भी प्रार्थना में हाथ जोड़ने से मना करते थे। भारत माता की जय बोलने और वंदे मातरम का नारा लगाने से भी उनके द्वारा मना किया जाता था।

यही नहीं आरोप लगा था कि विद्यालय में उर्दू विषय पाठ्यक्रम में न होने के बावजूद बच्चों को और विशेष रूप से बालिकाओं को उर्दू पढ़ाई जाती थी तथा दीवारों पर शायरी भी लिखी जाती थी। उक्त आरोपी के क्रम में बीएसए ने 20 मार्च 2025 को ही शिक्षक को निलंबित कर दिया था। जिसके बाद मामले की जांच खंड शिक्षा अधिकारी सिंहपुर को सौंप गई थी।

जांच के बाद उन्हें सुनवाई का मौका दिया गया और उन पर लगे सभी आरोप पुष्ट पाए गए। इस पर कार्रवाई करते हुए बीएसए ने उन्हें भविष्य में ऐसी कोई कार्य न करने की चेतावनी देते हुए मूल वेतन पर बहाल किया है उन्हें शुकुल बाजार विकासखंड में बहाल किया गया है। बीएसए संजय तिवारी ने बताया कि शिक्षक की गरिमा की विपरीत आचरण कहीं से भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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