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शिक्षक नियुक्ति: नियुक्तियों की जांच तीन माह बाद भी अधर में, नहीं खुल सका फर्जी वेतन भुगतान का राज, अधिकारी और प्रबंधक जांच में बने रोड़ा


गोंडा जिले के लगभग के 28 सहायता प्राप्त जूनियर हाई - स्कूलों में सृजित पदों से अधिक पदों पर की गई नियुक्तियों और फर्जी वेतन भुगतान का मामला अब भी अनसुलझा है। एसआईटी 1 (विशेष जांच दल) और बेसिक शिक्षा निदेशालय इस मामले की जांच कर रहे हैं लेकिन अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। फर्जी नियुक्तियों का खुलासा ठंडे बस्ते में चला गया है। - निदेशालय की जांच तीन माह बाद भी अधर में है।






गोंडा निवासी आरपी मिश्रा ने जुलाई 2025 में महानिदेशक स्कूल शिक्षा लखनऊ को एक शिकायती पत्र भेजा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि जिले के कई सहायता प्राप्त







जूनियर हाई स्कूलों में छात्र संख्या बहुत कम होने के बावजूद 35 से 85 अध्यापक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। यह भी दावा किया कि फर्जी वेतन भुगतान का खेल लेखा कार्यालय के लिपिकों और स्कूल प्रबंधकों की मिलीभगत से चल रहा है।






शिकायत पर कार्रवाई करते हुए महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने प्रयागराज के अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) कामता प्रसाद पाल को जांच का निर्देश दिया। उन्होंने तीन जुलाई 2025 को सहायक शिक्षा निदेशक/उप शिक्षा निदेशक डॉ. बृजेश मिश्र को जांच सौंपी। डॉ. मिश्र जब जांच के लिए गोंडा




पहुंचे तो कार्यालय ही गायब मिला। उन्होंने 22 अगस्त को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी को पत्र भेजकर पूछा कि छह अगस्त को मांगी गई सूचना अभी तक क्यों उपलब्ध नहीं कराई गई।






उन्होंने लिखा कि बीएसए ने 15 विद्यालयों के प्रतिनिधियों को कार्यालय में बुलाने की बात कही थी लेकिन कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। यहां तक कि लिपिक भी नहीं आए। डॉ. मिश्र ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि यह लापरवाही और उदासीनता फर्जी नियुक्तियों और वेतन भुगतान में बीएसए कार्यालय की संलिप्तता की ओर इशारा करती है। उन्होंने 23 अगस्त को 28 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को फिर से निर्देश दिया कि आवश्यक अभिलेखों सहित बीएसए कार्यालय में उपस्थित हों।






उधर बीएसए कार्यालय ने केवल औपचारिकता निभाने के लिए चार राज्य कर्मचारियों और छह परिषदीय कर्मचारियों को पत्र भेजकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। डॉ. मिश्र ने छह अगस्त और 16 अगस्त को दोबारा पत्र भेजकर जानकारी मांगी लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। निदेशालय द्वारा शुरू की गई जांच तीन महीने बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।






अपर शिक्षा निदेशक डॉ. बृजेश मिश्र ने कहा कि जांच जारी है, जल्द ही इसे पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। वहीं अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) कामता प्रसाद पाल ने बताया कि एसआईटी जांच के चलते विभागीय जांच कुछ समय के लिए शिथिल हो गई है। रिकॉर्ड की अनुपलब्धता के कारण विलंब हो रहा है पर जांच शीघ्र पूरी की जाएगी।

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