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शिक्षक समायोजन मामले में कोर्ट का आदेश: मूल विद्यालय वापसी पर ही वेतन, अधिकारियों पर नाराजगी

👉🏻 जैसा कि आप सभी देख रहे है जुलाई में जिले के अंदर कुछ शिक्षकों को समायोजित किया गया था समायोजित शिक्षकों को आदेश अनुसार नए विद्यालय में समायोजित कर दिया गया था






👉🏻 जब समायोजन का कार्य प्रचंड रूप से हावी था और स्वयं ऑप्शन दिया गया (विद्यालय लिस्ट के साथ) की आप चाहे दूसरे विद्यालय जा सकते है नहीं जाना चाहते है तो नहीं जा सकते है ये निर्णय आपके ऊपर निर्भर करता है






👉🏻 ये आदेश पाकर कुछ शिक्षकों ने अपने घर के पास के विद्यालय या अपनी सुविधानुसार विद्यालय भरके समायोजन ले लिया और अपना मूल विद्यालय छोड़कर उस विद्यालय में शिक्षण कार्य शुरू किया




👉🏻 ये समायोजन पूर्ण होने के कारण कई विद्यालय शिक्षक विहीन तथा एकल शिक्षक हो गए






👉🏻 ये विसंगति दूर करने के लिए पुनः आदेश आया कि जो शिक्षक के समायोजन लेने से उनका विद्यालय शिक्षक विहीन या एकल शिक्षक हुआ है वो अपने मूल विद्यालय वापिस आ जाएं बाकी जो शिक्षक सरप्लस में थे उसको मूल विद्यालय वापिसी आने का कोई आदेश नहीं था




👉🏻 ऐसे शिक्षक जिनके आने से उनका विद्यालय एकल या शिक्षक विहीन हुआ था आदेश आने पर मूल विद्यालय वापिस नहीं जाना चाहते थे उस आदेश के विरुद्ध कोर्ट चले गए






👉🏻 आज कोर्ट का आदेश आया कि-----




✅ समायोजित हुआ शिक्षक यदि अपने अपर अधिकारी द्वारा निर्गत आदेश के अनुरूप अपने मूल विद्यालय में वापस जाते है तभी उनका वेतन निर्गत किया जाए यदि वापस नहीं जाते है तो वेतन निर्गत न किया जाए, बाकी फाइनल डिस्पोजल पर बकाया एरियर पर विचार किया जाएगा






✅ संयोजित प्रकिया में इतनी विसंगति क्यों हुई जिस पर कोर्ट ने अधिकारियों पर नाराजगी व्यक्त की




नोट- इस आदेश से स्पष्ट हो रहा कि याची शिक्षक अपने मूल विद्यालय वापिस हो जाएं बेहतर होगा


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