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योगी कैबिनेटः प्रयागराज-भदोही में नए पुल, मदरसा टीचरों को वेतन समेत 25 प्रस्तावों पर मुहर

यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश के विकास और शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। योगी कैबिनेट ने प्रयागराज और भदोही में नए पुल, मदरसा टीचरों को वेतन समेत 25 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इसमें भदोही में नए विश्वविद्यालय की स्थापना और वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अनुपूरक बजट जैसे प्रमुख प्रस्ताव भी शामिल हैं।

योगी कैबिनेट ने उच्च शिक्षा विभाग के दो बड़े प्रस्तावों को हरी झंडी दिखाई है। इसमें भदोही स्थित काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय को अब 'काशी नरेश विश्वविद्यालय' के रूप में अपग्रेड किया जाएगा। इसके लिए राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। मुमुक्षु आश्रम ट्रस्ट की इकाइयों को एकीकृत कर शाहजहांपुर में 'स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय' की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसके साथ ही गोरखपुर में 'उत्तर प्रदेश वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय' की स्थापना के प्रस्ताव पर भी मुहर लगी है। उत्तर प्रदेश मदरसा (अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) विधेयक, 2016 को वापस लिए जाने के संबंध में प्रस्ताव पास किया गया है।

पूर्वांचल के विकास के लिए काशी-विंध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण का होगा गठन

राज्य सरकार ने पूर्वांचल के विकास के लिए काशी-विंध्य क्षेत्र के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके लिए अब क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इसमें सात जिले वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र हैं।

इसके गठन के बाद काशी-विंध्य क्षेत्र में आने वाले जिलतों में गुणवत्ता पूर्ण नागरिकों को सुविधाएं दी जाएंगी। इससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा और सुनियोजित विकास के साथ रोजगार का रास्ता खुलेगा। काशी-विंध्य क्षेत्र की मौजूदा आबादी दो करोड़ के आसपास बताई जा रही है। इसके विकास से सरकार पर कोई भार नहीं आएगा।

काशी विंध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण का दायरा 23815 वर्ग किलोमीटर होगा। वाराणसी का क्षेत्रफल 1535 वर्ग किलोमीटर है, जौनपुर 4038, चंदौली 2541, गाजीपुर 3377, मिर्जापुर 4521, भदोही 1015 और सोनभद्र 6788 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है। इन सात जिलों में सर्वाधिक क्षेत्रफल सोनभद्र का है, जबकि सबसे कम चंदौली है। नीति आयोग ने काशी और विंध्य क्षेत्र के सतत विकास के लिए अपने सुझाव सरकार को दिए हैं।

यूपी में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती के लिए होगा अलग बोर्ड

प्रदेश में अब विशेषज्ञ चिकित्सकों और असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति में विलंब नहीं होगा। यह भर्तियां अब जल्द हो सकेंगी। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को इसके लिए अधियाचन राज्य लोक सेवा आयोग को नहीं भेजना होगा। इसके लिए जल्द अलग बोर्ड का गठन किया जाएगा। इस संबंध में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के उत्तर प्रदेश विशेषज्ञ चिकित्सक एवं चिकित्सा शिक्षा भर्ती बोर्ड के गठन संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।

स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग में अभी तक भर्ती के लिए अधियाचन राज्य लोक सेवा आयोग को भेजा जाता है। आयोग पर काम का अधिक लोड होने के चलते इस पूरी प्रक्रिया के संपन्न होने में काफी समय लग जाता है। कई बार इसकी समय सीमा छह माह से एक साल या उससे भी अधिक होती है। मगर अब स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में आगामी दिनों में डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षकों की कमी दूर हो सकेगी। इस दिशा में प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के विशेषज्ञ चिकित्सक और उत्तर प्रदेश राज्य चिकित्सा महाविद्यालय अध्यापक संवर्ग के चिकित्सा शिक्षक के पद पर भर्ती के लिए नए भर्ती बोर्ड के गठन से चिकित्सा क्षेत्र को खासा लाभ होगा। इससे न केवल विशेषज्ञ चिकित्सक जल्द मिल सकेंगे बल्कि मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ के मानक भी पूरे हो सकेंगे। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ के मानक पूरे न होने के चलते ही विभाग को एनएमसी में हलफनामा देना पड़ा था।

विकास प्राधिकरण की पुरानी संपत्तियां अब 25% कम दर पर बेची जाएंगी

राज्य सरकार ने विकास प्राधिकरण और आवास विकास प्राधिकरण में सालों से अनिस्तारित पड़ी पुरानी संपत्तियों को 25 प्रतिशत दर कम कर बेचने की सुविधा दे दी है। प्रदेश में ऐसी करीब 22350 संपत्तियां हैं। इसके साथ नई योजनाओं के लिए संपत्तियों को बेचने के लिए मूल्य तय करने की प्रक्रिया निर्धारित कर दी गई है। पार्क फेस, कार्नर और 18 मीटर से अधिक चौड़ी सड़क के किनारे भूमि पर लगाने वाला अतिरिक्त चार्ज घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आदर्श कास्टिंग गाइड लाईंस (मूलभूत सिद्धांत) 2025 को मंजूरी दी गई। फैसले के मुताबिक विकास प्राधिकरणों की परिसंपत्तियों के मूल्य निर्धारण के लिए 12 से 15 प्रतिशत तक ब्याज, 15 प्रतिशत तक कंटीजेंटी तथा 10 से 15 प्रतिशत ओवर हेड चार्ज जोड़ा जाता है। अनिस्तारित संपत्तियों में साल दर साल ब्याज में वृद्धि के कारण इसका मूल्य अधिक हो जाता है और इसके खरीददार नहीं मिलते हैं। इसके चलते मौजूदा समय 22350 संपत्तियां अनिस्तारित हैं। इससे एक तरफ लोगों को सस्ती दरों पर आवासीय सुविधा नहीं हो पा रही है, वहीं दूसरी तरफ इसके न बिकने से विकास प्राधिकरणों की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

इसीलिए अनिस्तारित संपत्तियों को सेल पर बेचने के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। सेल पर इन संपत्तियों को बेचने के लिए संपत्तियों पर 25 प्रतिशत तक छूट देने की व्यवस्था दी गई है। इस छूट के बाद संपत्ति का मूल्य संशोधित मूल्य पहली बार तय मूल्य से कम नहीं होगी। सेल की संपत्तियों का पूरा भुगतान 45 दिन में करने पर छह प्रतिशत, 60 दिन में करने पर पांच प्रतिशत और 90 दिन में जमा करने पर चार प्रतिशत की छूट मिलेगी।

इसके साथ ही प्राधिकरण की नई संपत्तियों की कीमत भूमि की लागत, आंतरिक विकास लागत, वाह्य विकास लागत, भवन विकास लागत और ब्याज स्टेट बैंक के एमसीएलआर से एक प्रतिशत अधिक के आधार पर तय किया जाएगा। अभी मनमाने तरीके से ब्याज विकास प्राधिकरणों द्वारा लिया जा रहा था, जिससे भूमि की कीमत अधिक हो जा रही है। कार्नर चार्ज, पार्क फेसिंग चार्ज और 18 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़क वाली संपत्तियों पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त चार्ज लिया जाएगा। इनमें से तीनों स्थितियां एक साथ होने पर यह चार्ज मात्र 12 प्रतिशत ही लिया जाएगा। कमजोर वर्गों और अन्य छोटी श्रेणी के मकान या प्लाट पर अभी तक 10 प्रतिशत पर किस्त ली जा रही है, इसमें दो प्रतिशत की कमी करते हुए आठ प्रतिशत कर दिया गया है।

कृषि विभाग के दो फार्मों को लीज पर दिए जाने के प्रस्ताव को हरी झंडी

कैबिनेट ने पीलीभीत एवं बाराबंकी में स्थित कृषि विभाग के प्रक्षेत्रों (फार्मों) को लीज पर दिए जाने के दो अलग-अलग प्रस्तावों को हरी झंडी प्रदान कर दी है। इसमें एक सहकारी क्षेत्र की संस्था है जबकि दूसरी केन्द्र सरकार की एजेन्सी है। पहला फार्म बाराबंकी जिले के मलिनपुर में है जिसकी 31 एक़ड़ भूमि भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) को टिश्यू कल्चर लैब स्थापित करने के लिए दिया जाएगा। इस भूमि पर बीबीएसएसएल बीज उत्पादन, उसका संरक्षण तथा संवर्द्धन करेगी। इसी प्रकार से पीलीभीत के टांडा बिजेसी स्थित राजकीय कृषि प्रक्षेत्र को कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) को 70 वर्षों के लिए लीज पर दिया जाएगा। एपीडा इस भूमि पर बासमती सीड प्रोसेसिंग फैसिलिटी कम ट्रेनिंग सेन्टर एण्ड ऑर्गेनिक ट्रेनिंग कम डेमो फार्म स्थापित करेगा।

आजमगढ़ में नई आवासीय योजना लाने के लिए 100 करोड़

राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण नए शहर प्रोत्साहन योजना में आजमगढ़ विकास प्राधिकरण को नई आवासीय योजना लाने के लिए 100 करोड़ रुपये दिए हैं। इसके मुताबिक आजमगढ़ विकास प्राधिकरण कोटिला परगना निजामाबाद में आवासीय योजना लाएगा। भूमि अधिग्रहण के लिए उसे 194 करोड़ रुपये की जरूरत है। सीड कैपिटल के आधार पर उसे 100 करोड़ रुपये पहली किस्त के रूप में दिया गया है।

योजना के लिए भूमि लेने पर आने वाले खर्च का 50 प्रतिशत तक खर्च राज्य सरकार की ओर से विकास प्राधिकरणों को सीड कैपिटल के रूप में दिया जा रहा है। अधिकतम 20 वर्ष के लिए यह पैसा विकास प्राधिकरणों को दिया जा रहा है, इसके बाद उन्हें इसे वापस करना होगा।

43 जिलों में एसआरएलएम देगा रेसिपी आधारित पुष्टाहार

यूपी के 43 जिलों की 288 बाल विकास परियोजनाओं में अनुपूरक पुष्टाहार की आपूर्ति उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (यूपीएसआरएलएम) की 204 उत्पादन इकाइयों के माध्यम से निर्मित कराकर रेसिपी आधारित अनुपूरक पुष्टाहार की आपूर्ति की जाएगी। बच्चों व गर्भवर्ती महिलाओं को अलग-अलग अनुपूरक पुष्टाहार नई गाइडलाइन के अनुसार दिए जाएंगे।

वहीं इन जिलों के अलावा दूसरे जिलों व परियोजनाओं में नैफेड की सेवाएं अंतरिम व्यवस्था के अंतर्गत रेसिपी आधारित अनुपूरक पुष्टाहार उपलब्ध कराने के लिए की जाएंगी यानी बाकी 32 जिलों में अभी अंतरिम व्यवस्था के तहत नैफेड की ओर से आपूर्ति की जाएगी। रैसिपी आधारित अनुपूरक पुष्टाहार के तहत छह माह से एक वर्ष के बच्चे को शिशु अमृत, एक वर्ष से तीन वर्ष तक के बच्चे को शिशु आहार, तीन वर्ष से छह वर्ष के बच्चों को शिशु पुष्टिकर, गर्भवती व धात्री महिलाओं को संपूर्ण मातृ आहार, छह माह से एक वर्ष के अति कुपोषित बच्चों को आरोग्य पोषण, एक वर्ष से तीन वर्ष तक के अति कुपोषित बच्चों को बाल संजीवनी और तीन वर्ष से छह वर्ष तक के अतिकुषोषित बच्चों को सक्षम पोषण दिया जाएगा।

काशी नरेश विश्वविद्यालय में अगले वर्ष से होंगे दाखिले

यूपी में दो नए राज्य विश्वविद्यालय खोलने की मंजूरी राज्य सरकार की ओर से दिए जाने के बाद अब विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में इन दोनों के विधेयक पेश किए जाएंगे। सोमवार को कैबिनेट ने इन दोनों विश्वविद्यालयों का विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। भदोही के काशी नरेश विश्वविद्यालय में अगले सत्र से ही प्रवेश शुरू होंगे।

भदोही के काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय को उच्चीकृत कर राज्य विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है। भदोही व आसपास के जिलों के छात्रों को उच्च शिक्षा व शोध के लिए दूसरे शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। शैक्षिक सत्र 2026-27 से ही इस विश्वविद्यालय में प्रवेश शुरू किए जाएंगे। भदोही-गोपीगंज मार्ग पर स्थित ग्राम सभा जोरई, वेदपुर व ददरहां में 54.81 एकड़ भूमि व उस पर स्थित भवन व परिसंपत्तियां विश्वविद्यालय को दी जाएंगी। भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए कृषि संकाय के शैक्षिणिक भवन व प्रयोगात्मक कार्य के लिए 15 एकड़ जमीन अलग से ली जाएगी। कॉलेज में एक प्राचार्य व प्रवक्ता के 120 पद सृजित हैं। सृजित पदों के सापेक्ष 82 पदों पर प्रवक्ता कार्यरत हैं।

वहीं समूग ‘ग’ के 31 पदों के सापेक्ष 13 व चतुर्थ श्रेणी के 58 सृजित पदों के सापेक्ष 11 कर्मचारी कार्यरत हैं। कुल कार्यरत पदों के सापेक्ष एक महीने के वेतन पर 1.45 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। अब महाविद्यालय के यह सृजित पद विश्वविद्यालय के मान लिए जाएंगे। महाविद्यालय के पदों को खत्म कर दिया जाएगा। यहां कार्यरत शिक्षक व कर्मचारियों को विकल्प दिया जाएगा कि वह इस विश्वविद्यालय में नौकरी करना चाहते हैं या नहीं। वहीं दूसरे राजकीय डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों को भी यहां नौकरी करने का विकल्प दिया जाएगा। वर्तमान में कार्यरत शिक्षक व कर्मचारी एक वर्ष अथवा उन पदों पर समायोजन या नियुक्ति तक कार्य करते रहेंगे।

दूसरी ओर शाहजहांपुर में मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट की इकाईयों को उच्चीकृत करते हुए स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा। इस आश्रम की सभी पांच इकाईयों को उच्चीकृत कर विश्वविद्यालय बनाया जाएगा। मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट शाहजहांपुर के मुख्य अधिष्ठाता व राज्य सरकार के बीच बीते नौ सितंबर को ही एमओयू हो चुका है।

गोरखपुर में पहले वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय को मंजूरी

गोरखपुर को जल्द ही प्रदेश का पहला वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय मिलने जा रहा है। इस संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के जनपद गोरखपुर में उत्तर प्रदेश वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने संबंधी प्रस्ताव को सोमवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली इस परियोजना को केंद्र सरकार पहले ही सैद्धांतिक मंजूरी दे चुकी है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना कैम्पियरगंज रेंज के भारी वैसी वन ब्लॉक में 50 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि पर बनेगा।

आरक्षित वन भूमि के गैर वानिकी उपयोग के एवज में राज्य सरकार ने खजनी तहसील के ग्राम पधरहा मिश्र में 50 हेक्टेयर समतुल्य गैर वन भूमि क्षतिपूरक वनीकरण के लिए उपलब्ध करा दी है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 621.26 करोड़ रुपये आंकी गई है। जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इसके लिए 49.99 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया था।

इन विषयों की होगी पढ़ाई

प्रस्तावित विश्वविद्यालय में वानिकी के अंतर्गत सिल्वीकल्चर, एग्रोफॉरेस्ट्री, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों की पढ़ाई होगी। वहीं औद्यानिकी के तहत फल एवं बागवानी विज्ञान, पुष्प कृषि, पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी सहित अन्य समसामयिक पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे। संस्थान में बीएससी, एमएससी, पीएचडी के साथ एक वर्षीय डिप्लोमा कार्यक्रम भी प्रस्तावित हैं। परियोजना से जुड़े अहम निर्णयों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक इम्पावर्ड कमेटी गठित करने का प्रस्ताव है, जिसमें पर्यावरण, वित्त, नियोजन, लोक निर्माण, कृषि, उच्च शिक्षा सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। विश्वविद्यालय के संचालन के लिए अलग से कार्य संचालन समिति भी बनाई जाएगी।

आठ कामकाजी महिला हॉस्टल बनाने को एक रुपये प्रति वर्ष लीजरेंट पर जमीन

यूपी में लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद में महिला कल्याण विभाग आठ कामकाजी महिला हॉस्टल बनाने जा रहा है। जिसके लिए महिला कल्याण विभाग को इन जिलों के विकास प्राधिकरणों की ओर से एक रुपये प्रति वर्ष लीजरेंट पर मुफ्त जमीन दी जाएगी। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी है। फिलहाल यह हॉस्टल बनने से कामकाजी महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी।

निजी, सरकारी व औद्योगिक क्षेत्रों में लगातार बढ़ रहीं कामकाजी महिलाओं की संख्या को देखते हुए अभी इन तीन जिलों में आठ कामकाजी महिला हॉस्टल बनाए जाएंगे। हॉस्टल बनाने के लिए जमीन की व्यवस्था संबंधित विकास प्राधिकरणों से एक रुपये प्रति वर्ष लीजरेंट पर मुफ्त जमीन लेकर की जा रही है। वहीं गाजियाबाद के सूर्यनगर में कामकाजी महिला छात्रावास के निर्माण के लिए उप्र के विकास प्राधिकरणों हेतु मॉडल भवन निर्माण एवं विकास उपविधि व मॉडल जोनिंग रेग्युलेशन, 2025 के प्राविधानों के अनुसार अधिकतम क्रय योग्य एफएआर-3 में आरोपित शुल्क में भी छूट प्रदान की जाएगी। अब इन हॉस्टलों का निर्माण कार्य तेजी से किया जाएगा।

नोएडा योजना में बदले में भूमि पाने वालों का भी पास होगा नक्शा

राज्य सरकार ने नोएडा योजना में एक्सचेंज यानी बदले के आधार पर भूमि पाने वालों को राहत देते हुए नक्शा पास कराने की सुविधा दे दी है। अभी तक ऐसे भूखंड स्वामियों को नक्शा पास कराने के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

मुख्यमंत्री ने इसके लिए नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (विनियम के माध्यम से हस्तांतरित भूमि पर भवन निर्माण) नियमावली 2025 को मंजूरी दी। इस नई निमयावली के लागू होने के बाद न्यायालय के माध्यम से नहीं बल्कि नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा मानचित्र स्वीकृति किया जाएगा।

औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने बताया कि नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण भवन विनियमावली-2010 के अनुसार लीड डीड (पट्टा प्रलेख) के माध्यम से आवंटित भूमि के अतिरिक्त अधिनियम व नियमावली में विनिमय से प्रदत्त निजी स्वामित्व की भूमि पर मानचित्र स्वीकृत के लिए प्राप्त आवेदनों के निस्तारण में कठिनाई आ रही थी। इससे नोएडा क्षेत्र के भूस्वामियों को न्यायालय का सहारा लेना पड़ रहा था। नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (विनिमय के माध्यम से हस्तांतरित भूमि पर भवन निर्माण) नियमावली 2025 के तहत नीति निर्धारित किए जाने से स्वामित्व की भूमि पर मानचित्र स्वीकृति के लिए प्राप्त आवेदनों का निस्तारण हो जाएगा। जिसका लाभ लोगों को मिलेगा।

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