प्रयागराज, । उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से 16 दिसंबर को लेखपाल के 7994 पदों पर भर्ती के जारी विज्ञापन को लेकर विवाद शुरू हो गया है। अभ्यर्थियों ने आरक्षण और कटऑफ पर आपत्ति की है। अभ्यर्थियों का कहना है कि विज्ञापन में आरक्षण की अनदेखी की गई है। इसमें ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को 27 प्रतिशत की जगह 18 फीसदी आरक्षण दिया गया है। कुल 7994 पदों में से ओबीसी वर्ग की 2158 सीटें होनी चाहिए थी लेकिन आयोग ने 1441 पद ही दिए हैं जो की 717 पद कम है।
इसी प्रकार से अनुसूचित जाति को 21 प्रतिशत की जगह 18 फीसदी आरक्षण ही दिया गया है। ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत की जगह 12.18 फीसदी आरक्षण दिया है। अनुसूचित जनजाति को दो प्रतिशत के स्थान पर 1.87 फीसदी आरक्षण दिया है। अनारक्षित वर्ग के लिए सीटों की संख्या 52.12 फीसदी है। आयोग ने प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (पीईटी) 2025 के स्कोर कार्ड के आधार पर मेरिट के अनुसार 15 गुना अभ्यर्थियों को शार्टलिस्ट करने का नियम बनाया है।
जबकि हाल ही में हुई ग्राम पंचायत अधिकारी व जूनियर असिस्टेंट भर्ती में लगभग 40 गुना अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। अलग-अलग पदों के लिए अलग-अलग शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि पीईटी एक अर्हता परीक्षा है इसमें एक फिक्स्ड कटऑफ टेट व सीटेट जैसा होना चाहिए जिससे अभ्यर्थी अनिश्चितता में ना रहे और एकाग्रचित होकर तैयारी कर सके।
पीईटी में न्यूनतम कटऑफ न होने से कई अभ्यर्थी पूरे साल एक भी भर्ती में शामिल नहीं हो पाते हैं। कटऑफ की यह व्यवस्था छात्रों के हित में नहीं है इसको लेकर उनमें काफी असंतोष है। छात्र युवा संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय यादव का कहना है कि आयोग को पीईटी में न्यूनतम कटऑफ करने व सीटों की संख्या आरक्षण के अनुसार सही करने की मांग की है।


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