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स्कूलों में अखबार से होगा बच्चों का बौद्धिक विकास

लखनऊ। बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में समाचार पत्रों का पठन-पाठन अनिवार्य किया गया है। इसका मकसद अखबार के माध्यम से स्कूली बच्चों का बौद्धिक विकास करना है। साथ ही भाषा व तार्किक विकास के लिए विविध गतिविधियां होंगी। इस संबंध में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।


उन्होंने विद्यार्थियों में पढ़ने की रुचि विकसित करने व स्क्रीन टाइम कम करने के लिए किताबों के साथ समाचार पत्रों को भी विद्यालय में हर दिन की पढ़ाई का अनिवार्य हिस्सा बनाने के निर्देश दिए हैं। बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों को उन्होंने निर्देश दिया है कि हर विद्यालय व पुस्तकालय में हिंदी व अंग्रेजी के प्रतिष्ठित व स्तरीय अखबार की अनिवार्य रूप से उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। हर दिन प्रार्थना सभा में दस मिनट समाचार वाचन के लिए तय किया जाए। इसमें संपादकीय लेख के अंश, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व खेल जगत की प्रमुख खबरें पढ़कर सुनाई जाएं। हर दिन समाचार पत्र से पांच नए व कठिन शब्दों का चयन कर उनका अर्थ भी प्रार्थना सभा में बताया जाए।

उन्होंने इन शब्दों को डिस्प्ले बोर्ड, ब्लैकबोर्ड पर भी लिखने को कहा है। विद्यार्थियों को समाचार पत्रों की संरचना और प्रस्तुतीकरण समझाएं और उनसे विद्यालय की मासिक या त्रैमासिक स्तर पर समाचार पत्र या मैगजीन तैयार कराएं। इसका संपादन छात्रों की टीम करेगी। उन्होंने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, मंडलीय उप शिक्षा निदेशक, मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक, बीएसए व डीआईओएस को इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए हैं।

अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि कक्षा नौ व 12 के छात्रों को सप्ताह में एक बार किसी महत्वपूर्ण विषय पर संपादकीय लिखने व कक्षा में समूह चर्चा के लिए प्रेरित करें। अखबारों में छपी समस्याओं व विकास से जुड़ी खबरों को पढ़ने और चर्चा के लिए प्रोत्साहित करें ताकि उनका समाज से जुड़ाव बढ़े और वे जिम्मेदार नागरिक बनें। कक्षा छह से आठ के विद्यार्थियों को विज्ञान, पर्यावरण व खेल की खबरों की कतरनें काटकर एक स्क्रैप बुक तैयार करने के लिए प्रेरित करें। सप्ताह में एक दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाले सुडोकू, वर्ग पहेली व ज्ञानवर्धक क्विज को हल करने की प्रतियोगिता भी कराएं ताकि उनकी तार्किक क्षमता बढ़े

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