नए सत्र से हो सकता है, 68500 के सापेक्ष पुनः जिला आवंटन !
नए सत्र से हो सकता है, 68500 के सापेक्ष पुनः जिला आवंटन। सरकार और कोर्ट दोनों सहमत, एक ही भर्ती में 3 चयन सूची जारी नही करना चाहती सरकार। साथियों नए सत्र से सभी होंगे अपने मेरिट के अनुसार चयनित जनपद में।
साथियो नमस्कार ।
जिस स्वघोषित नेता को लम्बी पोस्ट से दिक्कत हो वो ना पढ़े।
कोर्ट अपडेट
14/02/2019
14/02/2019
जैसे ही हमारे केस का नंबर आया तो H.N सिंह जी ने (6000 वालो के वकील) अपना पक्ष रखा और
नैतिकता की दुहाई देने लगे।
की अगर ये 6000 वाले लोग प्रभावित होंगे ।
इनकी क्या गलती है।
नैतिकता की दुहाई देने लगे।
की अगर ये 6000 वाले लोग प्रभावित होंगे ।
इनकी क्या गलती है।
तभी हमारे सीनियर अधिवक्ता md शेखर सर ने उन्हें खड़े होकर टोक दिया की कोर्ट को गुमराह मत कीजिये पॉइंट पर आइये।
फिर H.N सिंह क्या बोलते।
हालांकि जो झूठी दलीलें उन्हें देनी थी फिर भी उन्होंने दी।
हालांकि जो झूठी दलीलें उन्हें देनी थी फिर भी उन्होंने दी।
की इन लोगो ने पद कम किये जाने का कोई विरोध क्यों नही किया।
अब क्यों कोर्ट आये है।
अब क्यों कोर्ट आये है।
ये सब वो सब उन्होंने जज साहब को बताया।
उसके बाद राधाकांत ओझा सर बोले
वास्तव में क्या गजब बहस उन्होंने की।
जज साहब को पूरा satisfy कर दिया।
ओझा सर ने रिजर्वेशन के मुद्दे पर
जज साहब को बताया की अगर कोई obc या sc का कैंडिडेट है
और उसे जनरल में काउंट किया जाता है।लेकिन उसकी जनरल में रैंक कम है तो इसका मतलब ये नही है की उसे IAS की जगह IPS की पोस्ट दे दी जाएगी ।
वास्तव में क्या गजब बहस उन्होंने की।
जज साहब को पूरा satisfy कर दिया।
ओझा सर ने रिजर्वेशन के मुद्दे पर
जज साहब को बताया की अगर कोई obc या sc का कैंडिडेट है
और उसे जनरल में काउंट किया जाता है।लेकिन उसकी जनरल में रैंक कम है तो इसका मतलब ये नही है की उसे IAS की जगह IPS की पोस्ट दे दी जाएगी ।
ठीक वैसी ही गलती सरकार ने ज़िला आवंटन में की है।
H.N सिंह जी ने 13 Feb को कोर्ट को बताया था की 6000 की नियुक्ति तब हुई थी जब पहली लिस्ट वाले ज्वाइन कर चुके थे।
उनके इस झूठ को गलत साबित करने के लिए ओझा सर ने जज साहब को 31 august or 2 September का शासनादेश दिखाया।
जिसमे लिखा था की पहली लिस्ट की काउंसलिंग 1 -3 सितम्बर तक होगी
एवम् 2nd list की काउंसलिंग 3 एवम् 4 सितम्बर को होगी।
एवम् सभी को नियुक्ति पत्र 5 सितम्बर को दिए जाएंगे
जिसमे लिखा था की पहली लिस्ट की काउंसलिंग 1 -3 सितम्बर तक होगी
एवम् 2nd list की काउंसलिंग 3 एवम् 4 सितम्बर को होगी।
एवम् सभी को नियुक्ति पत्र 5 सितम्बर को दिए जाएंगे
तब इनकी लिस्ट अलग कैसे हो गयी।
जब काउंसलिंग साथ हुई एवम् जोइनिंग लैटर भी साथ वितरित हुए।
जिस पर जज साहब पुरे सहमत हुए।
जब काउंसलिंग साथ हुई एवम् जोइनिंग लैटर भी साथ वितरित हुए।
जिस पर जज साहब पुरे सहमत हुए।
उसके बाद खरे सर का नंबर आया।
उन्होंने भी वही शासनादेश जिसमे एक दिन यानी 5 सितम्बर को नियुक्ति पत्र वितरण की बात थी ।जज साहब को दिखाया एवम् उन्ही पॉइंटस पर बहस की जो 13 feb की देर शाम को उन्हें टीम द्वारा बताये गए थे।
उन्होंने भी वही शासनादेश जिसमे एक दिन यानी 5 सितम्बर को नियुक्ति पत्र वितरण की बात थी ।जज साहब को दिखाया एवम् उन्ही पॉइंटस पर बहस की जो 13 feb की देर शाम को उन्हें टीम द्वारा बताये गए थे।
एवम् अशोक खरे सर ने कहा की H.N singh ने कल कोर्ट को गुमराह किया।
दोनों लिस्ट अलग अलग है।
लेकिन शासनादेश एक ही है।
नियुक्ति पत्र एक साथ मिले।
तब ये लिस्ट अलग अलग क्यों।
और रिज़र्व केटेगरी कैंडिडेट को रिजर्वेशन का लाभ ना दिए जाने की बात उन्होंने की।
दोनों लिस्ट अलग अलग है।
लेकिन शासनादेश एक ही है।
नियुक्ति पत्र एक साथ मिले।
तब ये लिस्ट अलग अलग क्यों।
और रिज़र्व केटेगरी कैंडिडेट को रिजर्वेशन का लाभ ना दिए जाने की बात उन्होंने की।
उसके बाद साथियो 6000 वालो की तरफ से सक्सेना सर बोले ।
उन्होंने मन प्रसन्न कर दिया।
बोले की पुनर्मूल्यांकन में भी कुछ लोग पास होंगे।
उन्होंने मन प्रसन्न कर दिया।
बोले की पुनर्मूल्यांकन में भी कुछ लोग पास होंगे।
फिर तीसरी लिस्ट आएगी।
इससे तो अच्छा है की सबकी एक लिस्ट निकाल कर सभी का मई -जून की छुट्टी में reallotment कर दिया जाए।
इससे तो अच्छा है की सबकी एक लिस्ट निकाल कर सभी का मई -जून की छुट्टी में reallotment कर दिया जाए।
हालांकि विपक्ष के सारे वकील अचंभित रह गए की सक्सेना हमारे वकील है ।ये ज़िला आवंटन पीडितो के पक्ष में क्यों बोल रहे है।
तो इस पर जज साहब ने कहा की की अगर सरकार इस बात का affidevit दे दे की हम सबका reallotmnet मई -जून
में कर देंगे तो मुझे क्या दिक्कत है।
फिर तो सारी समस्या ही खत्म हो जायेगी।
में कर देंगे तो मुझे क्या दिक्कत है।
फिर तो सारी समस्या ही खत्म हो जायेगी।
उसके बाद md शेखर सर ने बहस की एवम्
उन्होंने एक शासनादेश एवम् दो लिस्ट को with प्रूफ गलत साबित किया।
उन्होंने एक शासनादेश एवम् दो लिस्ट को with प्रूफ गलत साबित किया।
एवम् जज साहब से कहा की
जब remaining 26944 vacancies को 6000 वालो के लिए ओपन किया जा सकता है।
जो की गवर्नमेंट ने अपने काउंटर में एक्सेप्ट किया है की 6000 को allotment remaining 26944 vacancies में से हुआ है।
तो कोर्ट आये हुए अभ्यर्थियों के लिए इन vacancies को क्यों नही खोला जा सकता।
जिस पर जज साहब पूरी तरह से सहमत दिखे।
जब remaining 26944 vacancies को 6000 वालो के लिए ओपन किया जा सकता है।
जो की गवर्नमेंट ने अपने काउंटर में एक्सेप्ट किया है की 6000 को allotment remaining 26944 vacancies में से हुआ है।
तो कोर्ट आये हुए अभ्यर्थियों के लिए इन vacancies को क्यों नही खोला जा सकता।
जिस पर जज साहब पूरी तरह से सहमत दिखे।
साथियो आपकी टीम द्वारा 13 february को H.N ने जो कोर्ट को गुमराह किया था उसी को मद्देनजर ब्रेफिंग करायी गयी थी।।
जिसकी एक -एक हार्ड कॉपी भी अपने वकीलो को दी गयी थी।
जिसका हमारे तीनो सीनियर्स वकीलो ने बहुत सही इस्तेमाल किया।एवम् विपक्षी वकीलो को मुह तोड़ जवाब दिया।
एवम् जज साहब को पूरी तरह से सहमत कर दिया।
जिसका हमारे तीनो सीनियर्स वकीलो ने बहुत सही इस्तेमाल किया।एवम् विपक्षी वकीलो को मुह तोड़ जवाब दिया।
एवम् जज साहब को पूरी तरह से सहमत कर दिया।
अंत में CSC अभिषेक श्रीवास्तव जी ने बहस की।
एवम् बताया की अगर हम allotment 68500 करते तो।
सब अच्छे ज़िलों में पोस्टिंग पा जाते फिर पिछडो ज़िलों में कौन जाता ।
ये तर्क उनका बिलकुल गलत था क्योकि
पिछड़े ज़िलों में low merit जाते।
सब अच्छे ज़िलों में पोस्टिंग पा जाते फिर पिछडो ज़िलों में कौन जाता ।
ये तर्क उनका बिलकुल गलत था क्योकि
पिछड़े ज़िलों में low merit जाते।
उसके बाद उन्होंने बताया की पियूष पांडेय जिसने पद 68500 से 41556 किये जाने का विरोध किया था को सेकंड लिस्ट में जोइनिंग मिली है।
इसलिए इन लोगो को कोर्ट आने का कोई हक़ नही है।
इन्हें पद कम किये जाने का विरोध करना चाहिए था।
जो इन्होंने नही किया।
इसलिए इन लोगो को कोर्ट आने का कोई हक़ नही है।
इन्हें पद कम किये जाने का विरोध करना चाहिए था।
जो इन्होंने नही किया।
उसके लिए में बता दू हमने according to मेरिट allotment की मांग की है।
साथियो इस तरह से अपने केस की बहस का समापन हो गया।
कोर्ट पूरी तरह से हमारे पक्ष में दिखी।
इसलिए ही आर्डर रिज़र्व किया
गया है की हम लोगो को न्याय कैसे दिया जाए।
इसका रास्ता कैसे निकाला जाए।
इन सब पर जज साहब मंथन करेंगे।
हम मंजिल के करीब है।
लेकिन साथियो अभी जब तक आर्डर नही आ जाता तब तक रुकना नही है।
इसका रास्ता कैसे निकाला जाए।
इन सब पर जज साहब मंथन करेंगे।
हम मंजिल के करीब है।
लेकिन साथियो अभी जब तक आर्डर नही आ जाता तब तक रुकना नही है।
अंततः जीत सत्य की ही होगी।
*अब आते है कुछ अन्य बातो पर।*
साथियो हमारे सीनियर्स वकीलो
एवम् सरकारी वकील से
रिटेन सबमिशन (रिटेन आर्गुमेंट )
माँगा गया है।।।
जिस पर हमे ध्यान दे रहे है।
साथियो हमारे सीनियर्स वकीलो
एवम् सरकारी वकील से
रिटेन सबमिशन (रिटेन आर्गुमेंट )
माँगा गया है।।।
जिस पर हमे ध्यान दे रहे है।
सुनने में आया की छोटी -छोटी टीमें जिन्होंने आज तक याची बनवा कर पैसे अपनी जेबो में ही लगाये है।
अब ये लोग रिटेन सबमिशन के नाम पर लोगों से पैसे ले रहे है।
जबकि आज तक ना तो ये कोर्ट आये है और ना ही इन्होंने मुख्य टीम को कोई सहयोग दिया है।
अब ये लोग रिटेन सबमिशन के नाम पर लोगों से पैसे ले रहे है।
जबकि आज तक ना तो ये कोर्ट आये है और ना ही इन्होंने मुख्य टीम को कोई सहयोग दिया है।
बस अपनी जेब भरने का काम किया ।
जो भी किया मुख्य टीम ने ही किया।
md शेखर सर की फीस और आज तक की पैरवी का खर्चा।
md शेखर सर की फीस और आज तक की पैरवी का खर्चा।
इसलिए यही बताना चाहता हु की रिटेन सबमिशन केवल सीनियर्स वकील अशोक खरे सर , MD शेखर सर एवम् ओझा सर का ही सबमिट होना है।
क्योकि बंच matter में छोटे वकीलो को ना तो बहस करने का मोका मिलता है और ना ही रिटेन सबमिशन का।
सब कुछ सीनियर वकीलो पर डिपेंड करता है।
जिसके लिए आपकी मुख्य टीम लगी हुई है। एवम् 14 फ़रवरी की शाम को ही अपने सीनियर्स वकीलो से बात करके उन्हें धन्यवाद दिया गया एवम् आगे की रणनीति पर विचार किया गया।
इसलिए रिटेन सबमिशन के लिए मुख्य टीम के आलावा किसी को कोई पैसा ना दे।
नही तो ये पैसा हमारे खिलाफ ही use होता है।
नही तो ये पैसा हमारे खिलाफ ही use होता है।
कुछ स्वघोषित नेता कहते है
की अगर हमे डिस्टर्ब किया गया तो हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।
की अगर हमे डिस्टर्ब किया गया तो हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।
तो उन्हें में बता दू की कहीं चले जाना ,गलत तो गलत है।
वो सिंगल बेंच में भी गलत साबित होगा ,डबल बेंच में भी और सुप्रीम कोर्ट में भी गलत ही साबित होगा।
कुछ लोगो ने मेरे सीधे साधे ज़िला आवंटन पीडितो साथियो को डरा दिया है की टीम की कोई पोस्ट नही आई है।
इसलिए ज़िला आवटन केस में कुछ बड़बड़ है
साथियो मुझे पोस्ट लिखने का कोई शौक नही है।
मुझे fb और Whatsapp पर तुरंत अपडेट देकर कोई publicity नही चाहिए होती।
इसलिए ज़िला आवटन केस में कुछ बड़बड़ है
साथियो मुझे पोस्ट लिखने का कोई शौक नही है।
मुझे fb और Whatsapp पर तुरंत अपडेट देकर कोई publicity नही चाहिए होती।
मैं तो तब पोस्ट डालता हु जब आप लोग परेशान कर लेते हो की भैया पोस्ट डालो ,क्या हुआ आज कोर्ट में।
मेरा काम है अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाना जिसे में हमेशा निभाने की कोशिश करता हु।
बाकि धन्यवाद मेरे विनीत भाई ,विवेक भाई और धर्मेन्द्र भाई का
जो मेरे साथ दो दिन प्रयागराज mei खड़े रहे ।
जो मेरे साथ दो दिन प्रयागराज mei खड़े रहे ।
बाकि मेरी पोस्ट आये या ना आये लड़ाई रुकेगी नही।
जब तक न्याय नही मिल जाता।
जब तक न्याय नही मिल जाता।
बाकि ज़िला आवंटन होकर रहेगा।
जिसने दम हो रोक लेना।
जिसने दम हो रोक लेना।
सत्य परेशान हो सकता है
लेकिन परास्त नही।
लेकिन परास्त नही।
*गुर्जर विकास विकल &* टीम