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बच्चे कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कक्षा छह से ही पढ़ेंगे पाठ, नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद पढ़ाई का बदल जाएगा पूरा पैटर्न

नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में कई ऐसे बुनियादी बदलाव किए गए हैं जो आने वाले समय में देश की शिक्षा में बड़े बदलाव आ सकते हैं। नई नीति लागू होने के बाद स्कूली शिक्षा का पाठ्यक्रम और उसका तौर-तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा।

छात्र-छात्राओं को भावी जरूरतों के अनुरूप विषय पढ़ाए जाएंगे। कक्षा छह से कृत्रिम बुद्धिमता की पढ़ाई भी इसी रणनीति का हिस्सा है। मकसद उनमें अभिरुचि पैदा करना है। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक कहते हैं कि कक्षा छह से दो बड़े बदलाव हुए हैं। एक वोकेशनल शिक्षा आरंभ करना तथा दूसरा कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अध्ययन। इसका मकसद छात्रों को रोजगारोन्मुख बनाना और इनोवेशन में उनकी दिलचस्पी पैदा करना है। बच्चों को कक्षा छह से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में कुछ पाठ पढ़ाए जाएंगे।



नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद पढ़ाई का पूरा पैटर्न बदल जाएगा। पहले तीन साल की प्री-स्कूलिंग बच्चे आंगनबाड़ियों में करेंगे तथा बाद के दो साल तक स्कूलों में पढ़ेंगे। इस प्रकार पहले पांच साल नर्सरी से कक्षा दो तक बच्चों को बुनियादी तौर पर मजबूत बनाया जाएगा। इसके बाद अगले तीन साल के दौरान वे प्राइमरी शिक्षा ग्रहण करेंगे।मानव संसाधन विकास मंत्रालय का मानना है कि नीति को पूरे देश ने स्वीकार किया है। सूबों में अलग-अलग दलों की सरकार के बावजूद सबने इसे प्रगतिशील बताया है।

काफी विचार विमर्श किया गया : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने इसे लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति को खत्म करने वाला बताया है। इसलिए इसके जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में कोई अड़चन नहीं आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी कहा था कि जितना विचार-विमर्श इस नीति को तैयार करने में हुआ है, उतना दुनिया की किसी नीति पर नहीं हुआ है। सबसे बड़ी चुनौती राज्यों को एक मंच पर लाने की थी जिसमें मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक सफल रहे। शिक्षा नीति पर बनी समिति के चेयरमैन के. कस्तूरीरंगन ने भी इस बात के लिए सराहना की है।

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