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आर्थिक रूप से कमजोर के लिए आठ लाख की सीमा का क्या है आधार’, आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा हलफनामा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मेडिकल की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के आल इंडिया कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को आरक्षण देने के मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा कि ईडब्ल्यूएस की आठ लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा तय करने का क्या आधार है। इसे तय करने के लिए क्या कोई अध्ययन हुआ है। किस आधार पर आठ लाख की सीमा तय की गई है।
कोर्ट ने केंद्र को इस बारे में हलफनामा दाखिल कर ब्योरा देने को कहा है। कोर्ट ने मामले में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भी पक्षकार बनाने की इजाजत दे दी।

केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन करके ईडब्ल्यूएस को 10 फीसद आरक्षण देने के प्रविधान किए हैं। सरकार ने मेडिकल की अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों परीक्षाओं के आल इंडिया कोटे में इस वर्ष से ओबीसी के लिए 27 फीसद और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसद आरक्षण लागू किया है। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं के जरिये इसे चुनौती दी गई है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ मामले पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने इस वर्ष नीट में आरक्षण लागू नहीं करने का अंतरिम आदेश देने की भी मांग की है। फिलहाल कोर्ट अंतरिम आदेश देकर मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल केएम नटराज से ईडब्ल्यूएस के आरक्षण की आठ लाख की वार्षिक सीमा तय किए जाने को लेकर कई सवाल किए। नटराज ने कहा कि सीमा तय करना नीतिगत मामला है।

इन 11 राज्यों में पहले से ही है कैटेगराइजेशन

ओबीसी आरक्षण के कैटेगराइजेशन को लेकर केंद्र ने भले ही अब सक्रियता दिखाई है, लेकिन 11 राज्य ऐसे हैं, जहां पहले से ही ओबीसी आरक्षण का कैटेगराइजेशन हो चुका है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बंगाल, झारखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी शामिल हैं।

राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं है ओबीसी सब कैटेगराइजेशन फामरूला

नई दिल्ली: विकास की दौड़ में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की पिछड़ी जातियों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र का ओबीसी आरक्षण को सब-कैटेगराइज करने का फामरूले अभी भले ही नहीं आया है, लेकिन यह तय है कि यह राज्यों के लिए कतई बाध्यकारी नहीं होगा। यह सिर्फ केंद्र के स्तर पर लागू होगा। इसका लाभ केंद्र सरकार से जुड़ी नौकरियों और केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों के दाखिले में मिलेगा। देश के करीब दर्जन भर राज्यों में ओबीसी आरक्षण का पहले ही कैटेगराइजेशन किया जा चुका है। ओबीसी आरक्षण के सब-कैटेगराइजेशन को लेकर गठित रोहणी आयोग ने फिलहाल इसे लेकर स्थिति स्पष्ट की है।

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