योगी सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय करते हुए 12 हजार करोड़ की आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना को मंजूरी दे दी है। इसकेअंतर्गत कृषक उद्यमियों, कृषक उत्पादक समूहों, सहकारी व मंडी समितियों को छह प्रतिशत ब्याज पर दो करोड़ रुपये तक बिना गारंटी ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इससे अधिक धनराशि पर गारंटी देनी होगी। शासन ने इन प्रस्तावों को बृहस्पतिवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2031-32 तक इस परियोजना के क्रियान्वयन पर करीब 1220.92 करोड़ रुपये राज्य सरकार अपने खजाने से खर्च करेगी। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) के अंतर्गत एक लाख करोड़ का प्रावधान किया है। इसमें यूपी को 12 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत किसानों व उनके कल्याण से जुड़ी समितियों, संस्थाओं को तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज की रियायत यानी 6 फीसदी पर 7 वर्ष के लिए ऋण मिल सकेगा।
47 लाख किसानों को प्रत्यक्ष फायदा
योजना से करीब 47 लाख किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। 1500 सहकारी संस्थाओं (पैक्स) को एकमुश्त 60 करोड़ रुपये मार्जिन मनी सहायता दी जाएगी। इससे समस्त पैक्स एक प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर कृषि अवस्थापना के विकास के लिए 240 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त कर सकेंगे। इससे 1500 प्रत्यक्ष व 3000 अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा। इन पैक्स के जरिए करीब 22.50 लाख किसान सीधे लाभान्वित होंगे।
तीन साल में 1475 एफपीओ का गठन करेगी सरकार
आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के तहत प्रदेश सरकार आगामी तीन वर्ष में राज्य के बजट से 1475 कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन भी करेगी। इसके अंतर्गत 2021-22 में 225, 2022-23 व 2023-24 में 625-625 एफपीओ का गठन राज्य सरकार के बजट से किया जाएगा। इससे प्रत्येक ब्लॉक में तीन-तीन एफपीओ का गठन हो जाएगा। इस पहल पर परियोजना अवधि में करीब 634.25 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान हे। इससे लगभग 14.75 लाख शेयर होल्डर किसान प्रत्यक्ष तौर पर लाभान्वित होंगे।
योजना में ये काम भी होंगे
कृषक उत्पादक संगठनों को फसल की कटाई के बाद (पोस्ट हार्वेस्ट) आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं के विकास तथा उद्यम स्थापना के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा। पोस्ट हार्वेस्ट अवस्थापना विकास के लिए पांच वर्ष में 1500 कृषक उत्पादक संगठनों को तथा निजी उद्यम स्थापना के लिए 5000 कृषक उद्यमियों को तीन प्रतिशत ब्याज की छूट पर सात वर्ष के लिए ऋण दिलाने का प्रस्ताव है। इस तरह सिर्फ 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण मिल सकेगा। पोस्ट हार्वेस्ट सुविधाओं के विकास पर करीब 2250 करोड़ रुपये तथा उद्यम स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। इन दोनों स्कीम में ब्याज पर छूट से सरकार पर करीब 510.45 करोड़ रुपये का व्यय भार आएगा। मंडी समितियों को कृषि अवस्थापना निधि के उपयोग के लिए मदद की जरूरत है। सरकार ने 27 मंडियों में किसानों के उपयोग से संबंधित अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर 140 करोड़ रुपये निवेश की योजना तैयार की है। इस योजना के अंतर्गत सरकार 126 करोड़ रुपये ऋण लेगी। यह ऋण भी तीन प्रतिशत ब्याज की छूट पर यानी छह प्रतिशत ब्याज पर प्राप्त हो सकेगा। इस पर सात वर्ष में 15.12 करोड़ रुपये ब्याज छूट के रूप में खर्च करना होगा।
ऋण लेकर पिछले सत्र का बकाया अदा करेंगी सहकारी चीनी मिलें
गन्ने का नया पेराई सत्र तेजी से शुरू हो गया है और पिछले सत्र का बकाया अभी चीनी मिलों पर शेष है। सहकारी चीनी मिलें इसे अब लोन लेकर अदा करेंगी। इन मिलों के लिए चार सौ करोड़ रुपये के ऋण की शासकीय गारंटी को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। प्रदेश भर में काफी चीनी मिलों ने अब गति पकड़ ली है। दरअसल पेराई सत्र शुरू होने के बाद ही किसानों को भुगतान शुरू करने का दबाव रहता है। अभी पेराई सत्र 2020-2021 का ही लगभग तीन हजार करोड़ रुपये चीनी मिलों पर किसानों का बकाया चल रहा है।
अब नया सत्र भी शुरू हो गया है तो दोनों भुगतान एक साथ करना चुनौती साबित हो रहा है। अब चूंकि मिलों के पास चीनी बिकने के बाद ही पैसा आता है तो इसके लिए एडवांस में धन की व्यवस्था करनी पड़ती है। निजी मिलों की अपनी व्यवस्था है लेकिन सहकारी चीनी मिलों के लिए वर्तमान सत्र में ढाई हजार करोड़ के ऋण की व्यवस्था को मंजूरी दी जा चुकी है। गन्ना आयुक्त संजय आर.भूसरेड्डी ने बताया कि बृहस्पतिवार को पिछले सत्र का बकाया भुगतान अदा करने के लिए भी इन मिलों के लिए चार सौ करोड़ के ऋण को कैबिनेट बाईसर्कुलेशन के जरिए मंजूरी दी गई। सहकारी चीनी मिलों को उप्र कोआपरेटिव बैंक लि. से यह ऋण मिलेगा। वर्तमान के साथ साथ किसानों का बकाया पेमेंट भी हो सकेगा।