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प्राइमरी स्कूल के शिक्षक के जुनून ने सरकारी विद्यालय को बना दिया स्मार्ट, बच्चों की संख्या हुई दोगुनी

सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चे प्रोजेक्टर पर पढ़ाई करें, उनकी हर क्लास स्मार्ट हो, पुस्तकालय में अच्छी किताबें हो, खेलकूद के उपकरण हो, क्लास रूम और परिसर सीसीटीवी से लैस हो... यह सुनना और पढ़ना जरा अचंभित करता है, लेकिन यह सच है और इसे सच कर दिखाया है मॉडल इंग्लिश प्राइमरी स्कूल चुमकुनी के प्रधानाध्यापक दुर्गेश चौबे ने।
दो साल पहले सितंबर 2020 में दुर्गेश इस विद्यालय में तैनात हुए। उस समय विद्यालय में छात्र संख्या 100 थी, लेकिन आज ये विद्यालय अपने बदलाव की कहानी लिख रहा है। वर्तमान में इस विद्यालय में 200 बच्चे पंजीकृत हो चुके हैं। विद्यालय में बच्चों को अंग्रेजी किताबों से पढ़ाया जाता है। दुर्गेश को जब विद्यालय का चार्ज मिला, तो विद्यालय में दो बार चोरी हुई, जिसमें खाद्यान्न, सोलर पैनल, पंखे गायब हो गए थे।

विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का था अभाव

विद्यालय के चारों तरफ नमी होने के कारण दीवारों में सीलन की समस्या थी। वहीं विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, जैसे बिजली का कनेक्शन था लेकिन वायरिंग नहीं हुई थी। कमरों की दीवारों पर सीलन था। फर्नीचर, खिड़की, दरवाजे तक टूटे हुए थे। विद्यालय में प्रधानाध्यापक के बैठने के लिए कोई कार्यालय तक नहीं था।

चार्ज मिलने के बाद दुर्गेश ने अपना वेतन लगाकर पूरे विद्यालय की स्थिति को ठीक कराने का प्रयास शुरू कर दिया। कक्षाओं में टाइल्स लगवाई, बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर खरीदे। वहीं खिड़की, दरवाजे को दुरुस्त कराकर कमरों में बिजली की वायरिंग करवाई।

स्मार्ट क्लास और प्रोजेक्टर

बच्चों को अच्छे माहौल में पढ़ाई कराने के लिए दुर्गेश ने अपने विद्यालय के अन्य शिक्षकों के सहयोग से कक्षाओं को बाला पेटिंग कराकर उन्हें सुंदर और आकर्षक बनाया। इसके बाद स्मार्ट टीवी और प्रोजेक्टर लगवाया। बच्चों के लिए विद्यालय में पुस्तकालय की सुविधा है, जहां उन्हें किताबें पढ़ने के साथ अलग-अलग गतिविधियों के जरिए रोचक चीजें सिखाई जाती है।

बच्चों की खेलों में रुचि बढ़ने इसके लिए सप्ताह में तीन दिन खेलकूद कराए जाते हैं। संसाधन और विद्यालय की सूरत बदलने से गांव के लोग भी अपने बच्चों का नामांकन इसी स्कूल में कराने लगे हैं। सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी स्कूल में लगवाए गए हैं।

दुर्गेश चौबे ने कहा कि बच्चों को विद्यालय में बेहतर सुविधाएं मिले, इसके लिए अपने वेतन से एक लाख रुपये से अधिक धनराशि खर्च कर विद्यालय की सूरत बदलने का प्रयास किया। यदि जनप्रतिनिधि स्कूल आने वाली सड़क पर होने वाले जलभराव की समस्या को ठीक करा दें तो बच्चों के लिए सुविधा हो जाएगी।

प्रधानाध्यापक की पहल से शिक्षक हुए प्रेरित

चार्ज लेने के बाद जिस तरह से दुर्गेश ने विद्यालय को संवारने के लिए खुद को समर्पित किया, उससे विद्यालय के अन्य शिक्षक भी प्रेरित हुए। जिसके बाद उन्होंने बच्चों के लिए पुस्तकालय में किताबों तो वहीं खेलकूद के लिए उपकरणों की व्यवस्था की। यहीं नहीं विद्यालय के सभी कर्मचारियों ने मिलकर किचन गार्डन तैयार किया है। किचन गार्डन की सब्जियों से ही मध्याह्न भोजन बनाया जाता है।
कामयाबी की राह पर बढ़ रहे नौनिहाल
प्रधानाध्यापक व शिक्षकों के संयुक्त प्रयास से विद्यालय के बच्चे आज कई तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। चाहे वो खेलकूद हो, सांस्कृतिक प्रतियोगिता हो या फिर शैक्षिक प्रतियोगिता। न्याय पंचायत व ब्लॉक स्तर के खेलों में भी स्थान बना चुके हैं।

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