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बच्चों ने कविता भी सुना ली तो निपुण का लक्ष्य होगा पूरा

दोस्तों के साथ बात की या पेपर पर पेंसिल को यूं ही घसीटा या फिर चॉकलेट या चिप्स के पैकेट के शब्दों को पहचाना भी हुआ तो समझिए नन्हें-मुन्ने निपुण हुए। बाल वाटिका यानी आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले 5 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए निपुण लक्ष्य तैयार हो गया है। अब सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को इसके मुताबिक ही बच्चों को शिक्षित करना होगा। मूल्यांकन के लिए ‘बाल पिटारा’ एप लांच किया गया है।

बाल विकास की सचिव अनामिका सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। 5 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए निपुण लक्ष्य ऐसे तय किए गए हैं कि ये कक्षा एक में पहुंचे तो वहां पढ़ाई में इन्हें दिक्कत न हो। इसमें मौखिक भाषा में दोस्तों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों से बात करना, समझ के साथ तुकांत कविता सुनना-सुनाना के साथ पढ़ने में किताबों को दिलचस्पी के साथ देखने के लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेखन में पेंसिल पकड़कर कागज पर घसीटना, चित्र बनाना शामिल है।

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