Basic Education Council के 45 हजार से अधिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षा विषय के 32022 अंशकालिक Anudeshak Bharti की लड़ाई नए सिरे से शुरू हो गई है। 19 सितंबर 2016 को शारीरिक शिक्षा व खेलकूद के 32022 अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती शुरू हुई थी। इन्हें 11 महीने के लिए सात हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर नियुक्ति मिलनी थी। इसके लिए 1,53,739 BPed, DPed and CPed degree holders ने ऑनलाइन आवेदन किया। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता बदली तो 23 मार्च 2017 को सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रोक दी। इसके खिलाफ अभ्यर्थियों ने याचिका की जिस पर हाईकोर्ट ने तीन नवंबर 2017 को दो महीने में भर्ती पूरी करने का आदेश दिया। हालांकि सरकार ने भर्ती शुरू करने की बजाय हाईकोर्ट में स्पेशल अपील दायर कर दिया था। हाईकोर्ट ने 12 अप्रैल 2018 को सरकार की special appeal खारिज करते हुए फिर से दो महीने में नियुक्ति का आदेश दिया था। शासन ने 23 अगस्त 2018 को Anudeshak Bharti निरस्त कर दी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी। सर्वोच्च न्यायालय में पांच अगस्त 2019 को पहली बार इस मामले की सुनवाई हुई थी। तीन साल से अधिक समय तक चली लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर 2022 के आदेश में अनुदेशक भर्ती निरस्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को छूट दी कि वे हाईकोर्ट में याचिका कर सकते हैं।
इस मामले में BPED Unemployed Association के प्रदेश अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप यादव की ओर से फिर से दायर याचिका में हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को प्रदेश सरकार से भर्ती रद्द करने का कारण पूछा है। अब इस मामले की सुनवाई 18 जनवरी को होगी।
© आरटीई के प्रावधानों को नहीं मान रही सरकारAnudeshak Bharti के अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रदेश सरकार आरटीई के प्रावधानों को नहीं मान रही। 2013 में ऐसे उच्च प्राथमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षा विषय के अनुदेशकों की भर्ती की गई थी जहां छात्रसंख्या 100 से अधिक है। यदि आरटीई एक समान शिक्षा के अधिकार की बात करता है तो 100 से कम छात्रसंख्या वाले स्कूलों में भी शारीरिक शिक्षा विषय की पढ़ाई होनी चाहिए जो कि नहीं हो रही है।