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Central University :- अंग्रेजों के जमाने के नियमों से मुक्त होंगे केंद्रीय विश्वविद्यालय

भारतीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने व अन्य सुधारों को लेकर Central Government Banaras Hindu University (बीएचयू) समेत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के एक्ट में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए विश्वविद्यालयों के एक्ट व उनमें खामियों का अध्ययन किया जा रहा है। समय के साथ बहुत से अप्रासंगिक हो चुके नियमों को हटाया जा सकता है या वर्तमान के अनुकूल बनाने के लिए संशोधित किया जा सकता है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी central universities, तकनीकी संस्थानों, प्रशिक्षण संस्थानों से उनके एक्ट के ऐसे नियमों को चिह्नित करने को कहा है, जो अप्रासंगिक हो चुके हैं या आज की बदली परिस्थितियों के अनुसार संशोधित किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है। बीएचयू में भी एक उच्चस्तरीय वरिष्ठ प्राध्यापकों की टीम ने इस संबंध में रिपोर्ट सरकार को भेजी है।

केंद्रीय शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को उच्चीकृत करने के लिए सरकार सहायक प्रोफेसरों, प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया का अध्ययन कर रही है। अनेक शिक्षण संस्थानों में इससे संबंधित एक्ट में बदलाव किया जा सकता है। अनेक विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की एसोसिएट प्रोफेसर पद पर और associate professor की प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति वर्षों से लटकी है। इसमें सुधार की आवश्यकता है, ताकि समय से प्रोन्नति और नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा किया जा सके।

सीयूईटी (सामान्य पात्रता परीक्षा ) की प्रक्रिया बेहतर बनाने के साथ पाठ्यक्रम निर्धारण की प्रक्रिया और समान पाठ्यक्रम की दिशा में भी सुधार संभव है। विश्वविद्यालयों से संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों का वेतन भत्ता विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के समतुल्य करने और कुछ मामलों में महाविद्यालयों की स्वायत्तता बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।

शिक्षाविदों का मानना है कि विश्वविद्यालयों के एक्ट में कई Article National Education Policy 2020 के कुछ प्रविधानों को लागू करने में बाधक हो सकते हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों से शिक्षा नीति को लागू करने में आ रही कठिनाइयों को लेकर भी रिपोर्ट मांगी है।

अप्रासंगिक हो चुके हैं british era कई नियम प्रो. मुकुलराज

बीएचयू के दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर मुकुलराज मेहता कहते हैं कि स्वतंत्रता पूर्व स्थापित अनेक केंद्रीय विश्वविद्यालयों, जिसमें बीएचयू इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आदि हैं, आज भी ब्रिटिश काल में बने नियमों-कानूनों से संचालित होते हैं। इनमें से बहुत से नियम-कानून वर्तमान में अप्रासंगिक हो चले हैं। बावजूद इसके विश्वविद्यालयों व संस्थानों का प्रशासनिक तंत्र उन्हीं नियमों कानूनों पर चलने को बाध्य है।

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