Breaking

Primary Ka Master | Education News | Employment News latter

Blog Search

मोबाइल फोन में मस्त नहीं, विभागीय काम में व्यस्त हैं! देनी पड़ती है गुरुजनों को सफाई

परिषदीय स्कूलों में मोबाइल फोन पर विभागीय कार्य करते शिक्षकों को सफाई देनी पड़ रही है। अभिभावक व ग्रामीण शिक्षकों को फोन पर व्यस्त पाते हैं तो ताने कसते हैं कि मास्टर साहब, फोन पर मस्त हैं लेकिन हकीकत में शिक्षक विभागीय कार्यों में व्यस्त रहते हैं। कोरोनाकाल से पहले जिन सेवारत प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विभाग हजारों रुपए खर्च करता था, अब शिक्षकों के स्मार्टफोन की मदद से शिक्षकों के ही खर्च पर कराए जा रहे हैं। पिछले करीब तीन साल की अवधि में परिषदीय शिक्षक एक सैकड़ा से अधिक ऑनलाइन प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं। इसके साथ ही प्रेरणा पोर्टल व डीबीटी ऐप पर कई कार्य व यू ट्यूब सेशन ज्वाइन कर रहे हैं। ऐसा करने में उनके स्मार्टफोन घंटों संचालित किए जा रहे हैं जिसके चलते न केवल फोन बूढ़े हो रहे हैं बल्कि सैकड़ों जीबी डाटा भी खर्च हो गया।

एक के बाद एक नई ऑनलाइन ट्रेनिंग, यूट्यूब सेशन, गूगल मीट के बाद प्रेरणा पोर्टल व डीबीटी ऐप के चलते शिक्षकों के मोबाइल फोन का प्रयोग काफी अधिक बढ़ गया है। विभाग ने निष्ठा के 18 माड्यूल व कुछ अन्य ट्रेनिंग कार्यक्रमों को ऑनलाइन कराया। इसके बाद एफएलएन के अन्तर्गत निष्ठा के एक और चरण को ऑनलाइन पूरा कराया गया। कुछ ऐसे प्रशिक्षण भी रहे जो 40 यूनिटों के थे।

‘स्मार्ट नहीं हैं सभी शिक्षक

शिक्षक कहते हैं कि जो प्रत्येक शिक्षक तकनीकी रूप से सक्षम नहीं है। खासतौर से ऐसे शिक्षक जो 50 वर्ष की उम्र से ऊपर के हो चुके हैं। इन शिक्षकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। तमाम शिक्षक स्मार्टफोन भी सही ढंग से संचालित नहीं कर पाते हैं।

अब याद नहीं रहते ट्रेनिंग के सबक

एक के बाद नए प्रशिक्षण सत्रों के चलते पिछले प्रशिक्षण से हासिल किए गए सबक भी शिक्षकों को भूलने लगे हैं। शिक्षक बताते हैं कि एक साथ कई ट्रेनिंग का शेड्यूल जारी होने से सबक की बजाए उन्हें पूरा करने में जोर रहता है।

Politics news of India | Current politics news | Politics news from India | Trending politics news,

close