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इसी सत्र से छह नए पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति की गई लागू

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शैक्षिक सत्र 2023-24 से छह नए पाठ्यकमों में नई शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई होगी। इनमें से दो पाठ्यक्रमों में जेईई और चार पाठ्यक्रमों में सीयूईटी के माध्यम से दाखिले होंगे।

इसकी जानकारी गुरुवार को कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत सेंटर ऑफ कम्प्यूटर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग, इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (आईपीएस) के तहत डाटा साइंस में पांच वर्षीय एकीकृत बीसीए एवं एमसीए की 40 सीटों पर दाखिले होंगे। वहीं, व्यवहार और संज्ञानात्मक विज्ञान केंद्र (सीबीसीएस ) के तहत संज्ञानात्मक विज्ञान (सीएससी) में एमएससी की 40 सीटों पर प्रवेश होंगे।

इन दोनों ही पाठ्यक्रमों में जेईई के माध्यम से दा खिले लिए जाने हैं। इसके अलावा चार पाठ्यक्रमों में सीयूईटी के माध्यम से दा खिले होंगे। इनमें परिवार एवं सामुदायिक विज्ञान में पांच वर्षीय एकीकृत कार्यक्रम प्रमुख क्षेत्र (कपड़ा और परिधान, खाद्य एवं पोषण और मानव विकास) और खाद्य एवं सामुदायिक विज्ञान विभाग के तहत मानव विकास में बीएससी एवं एमएससी का पाठ्यक्रम शामिल है, जिसकी 40 सीटें हैं। आपदा प्रबंधन और पर्यावरण अध्ययन में पांच वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम की 40 सीटों, बीएएलएलबी (ऑनर्स) पांच वर्षीय लॉ कोर्स और पांच वर्षीय एमबीए (मोनिरबा) में प्रवेश लिए जाएंगे। बीएएलएलबी (ऑनर्स) पांच वर्षीय लॉ कोर्स पहले से संचालित है, लेकिन अब नए प्रारूप में इसकी पढ़ाई होगी। नई शिक्षा नीति के आधार पर तैयार इन पाठ्यक्रमों में एनसीसी को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया गया है।

भाषा लैब में उच्चारण का प्रशिक्षण

कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव ने बताया कि पाठ्यक्रम के पहले वर्ष में भाषाओं की पढ़ाई होगी। भाषा प्रयोगशाला में उच्चारण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यूरोपीय भाषाओं में फ्रेंच, रशियन, जर्मन तथा भारतीय भाषाओं में संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू पढ़ाई जाएगी। इसमें 40 सीटें हैं।

दक्षता पाठ्यक्रम की भी होगी पढ़ाई

दक्षता पाठ्यक्रम भी शुरू होगा। वैकल्पिक के रूप में संगीत (तबला, सितार, गायन), खेल, एनसीसी, संविधान के तत्व, मानसिक स्वास्थ्य, वित्तीय बाजार (मूलभूत समझ), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अन्वेषण, फिल्म और थिएटर (मूलभत तकनीकी), चिकित्सकीय पोषण एवं योग शामिल है।

छात्रों की संख्या ज्यादा होने से एक साथ नहीं लागू हो सकी एनईपी


कुलपति ने बताया कि इविवि एवं संघटक महाविद्यालयों में 65 हजार से अधिक विद्यार्थी हैं, ऐसे में सभी पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति एक साथ लागू नहीं की जा सकती है। स्नातक और परास्नातक में विद्यार्थियों की संख्या काफी अधिक है। इसी वजह से तय हुआ है कि इविवि एवं संघटक कॉलेजों में नई शिक्षा नीति को तीन चरणों में लागू किया जाए। सत्र 2024-25 में बाकी पाठ्यक्रमों का संचालन नई शिक्षा नीति के तहत शुरू किया जाएगा।

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