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69000 शिक्षक भर्ती में बी.एड. चयनित अभ्यर्थियों की चिंता✍️

उत्तर प्रदेश सरकार में कुछ वर्षों पूर्व पूर्ण हुई 69000 शिक्षक भर्ती एक बार फिर विवादों में है। हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय जिसमें NCTE के 28 जून 2018 के राजपत्र को रद्द किया गया गौरतलब है कि इस राजपत्र में बीएड अभ्यार्थियों को इस शर्त के साथ प्राथमिक विद्यालयों में बतौर शिक्षक नियुक्त होने की अनुमति थी, जब सरकार इनकी नियुक्ति के दो वर्ष के भीतर 6 माह के ब्रिज कोर्स का प्रशिक्षण पूर्ण कराए

अब ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि जो अभ्यर्थी इस राजपत्र के आधार पर 69000 शिक्षक भर्ती या किसी भी अन्य भर्तियों में चयन पा चुके क्या इनका ब्रिज कोर्स पूर्ण होगा? और होगा भी तो इसके पाठ्यक्रम की विषय वस्तु पर विगत 5 सालों से क्रियान्वयन आखिर क्यों नहीं हो सका?

इस संदर्भ में ये बीएड अभ्यर्थी जो वर्तमान में प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, वे अब ब्रिज कोर्स पूर्ण कराने का ज्ञापन हर राजनेता मंत्री, सांसद, विधायक, अधिकारी को दे रहे हैं, चूंकि यह मसला न्यायालय से निर्णित होकर एनटीसीई, जो भारत सरकार की एक वैधानिक निकाय है के विरुद्ध आया है ऐसे में कोई भी इस प्रकरण पर अपनी वांछित प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहा.

ऐसे में 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित बीएड शिक्षकों ने माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद की खण्डपीठ लखनऊ में अपनी कैविएट और पूर्व में NCTE 2018 के विरुद्ध योजित याचिका में प्रतिवादी बनने के लिए IA दाखिल की है जिसमें सभी अपनी एकता का दे रहे हैं। ज्ञात हो कि जनवरी 2019 से जुलाई 2020 तक न्यायालय में प्रस्तुत होकर अपनी योग्यता 90/97 उत्तीर्णांक पर सिद्ध करने की जद्दोजहद में पहले ही डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक वेदना झेली है। इस बीच किसी अभ्यर्थी ने अपने चयन की लड़ाई लड़ने के लिए कभी अपना घर छोड़ा तो कभी उस समय पर ठीक-ठाक चल रही नौकरी छोड़ी। सभी को यह आस थी कि चयन पाने की योग्यता पर स्वयं को निखार कर वे अपनी सेवाएं समाज में दे पाएंगे और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे, क्योंकि नियुक्तियों में स्वयं का सुख ही नहीं निहित होता, इसमें आपसे संबंधित सभी व्यक्तियों एवं परिवारों के उम्मीदों का समावेश होता है।

किसी अभ्यर्थी ने अपने चयन की लड़ाई लड़ने के लिए कभी अपना घर छोड़ा तो कभी उस समय ठीक-ठाक चल रही नौकरी छोड़ी। आस थी कि चयन पाने की योग्यता पर स्वयं को निखार कर वे अपनी सेवाएं समाज में दे पाएंगे और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
अनुराग पांडेय

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