इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्ति का आदेश रद्द कर दिया है और उन्हें सेवा निरंतरता के साथ बहाल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि काम नहीं तो दाम नहीं के सिद्धांत पर याची जितनी अवधि तक सेवा से बाहर रहे, वेतन के हकदार नहीं होंगे।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अजय कुमार व अन्य और पंकज कुमार व अन्य की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचियों ने अधूरी गलत जानकारी के साथ 2015 की 15 हजार पदों की सहायक अध्यापक भर्ती में आवेदन किया। आवेदन के समय उनका बीटीसी का परिणाम घोषित नहीं किया गया था लेकिन अंक प्राप्त हो गए थे। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद लंबी चयन प्रक्रिया में फार्म की ़गलती सुधारने का मौका दिया गया, जिसका फायदा याचियों ने भी उठाया। सरकार ने ही 15 जनवरी 2016 तक छूट दी थी।
कोर्ट ने कहा कि फार्म में गलत सूचना दी गई, ऐसे में वे चयन के बाद सेवा में बने रहने के लायक नहीं थे लेकिन गलती सुधारने की छूट दी गई। मौका मिलते ही गलती सुधार ली गई। आवेदन के समय याची अर्ह नहीं थे लेकिन दो तीन दिन में ही उनका बीटीसी परिणाम घोषित कर दिया गया और उन्होंने फार्म दुरुस्त कर लिया और चयनित होने के बाद सहायक अध्यापक नियुक्त हुए।
कोर्ट ने कहा कि सुधार का मौका देने के बाद चयन शून्य करार देकर सेवा समाप्ति उचित नहीं है। याची सहानुभूति पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने याचियों की बर्खास्तगी के पांच सितंबर 2023 व 23 अगस्त 2023 के आदेशों को रद्द कर दिया और तीन सप्ताह में याचियों को कार्यभार सौंपने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद को यह भी निर्देश दिया है कि भविष्य की भर्ती में एक कॉलम यह दिया जाए, जिसमें बीटीसी परिणाम स्टेटस स्पष्ट तौर पर उल्लिखित किया जाए। इस मामले में याचियों को बीटीसी अंक मिल गए थे।
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