लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मदरसा अधिनियम खारिज करने की मांग पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या कोई राज्य धार्मिक शिक्षा प्रदान करने के लिए कानूनी रूप से शिक्षा बोर्ड का गठन कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि पहले भी इस प्रश्न का केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं आया है।
कोर्ट ने कहा कि वह आशा करता है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय केंद्र सरकार के अधिवक्ता सुधांशु चौहान को दो फरवरी तक स्पष्ट जवाब लिखित में दे देगा ताकि वह कोर्ट के सामने रखा जा सके। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी एवं न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने अंशुमान सिंह राठौर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
कोर्ट में गुरूवार को भी इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी। याचिका में राज्य सरकार के वर्ष 2004 में पारित यूपी मदरसा शिक्षा अधिनियम के साथ साथ निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन अधिनियम 2012 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी गयी है। याचिका में कहा गया है कि राज्य स्वयं धार्मिक शिक्षा देने के लिए कोई कानून नहीं बना सकता।
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