एक तरफ घर का काम दूसरी तरफ ऑफिस का... दोनों को एक साथ बेहतर तरीके से संभालने की चाहत महिलाओं को तनाव दे रही है। नए सर्वे से यह पता चला है कि अपने समकक्ष पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक तनाव झेल रहीं हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करने वाले प्लेटफॉर्म ‘योरदोस्त’ ने 5000 भारतीय पेशेवरों का सर्वे किया और ‘इमोशनल वेलनेस स्टेट ऑफ एंप्लॉइज’ शीर्षक की रिपोर्ट जारी की। इस सर्वे में शामिल करीब तीन चौथाई महिलाओं में तनाव का स्तर काफी अधिक देखा गया। हालांकि वर्कप्लेस पर तनाव पुरुषों में भी देखा गया जो महिलाओं के अनुपात में थोड़ा कम था।
पसर्नल बनाम प्रोफेशनल पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच तालमेल बिठाने की जंग हर दिन महिलाओं को लड़ना होता है। इसमें असफल रहने का अपराधबोध ही तनाव का कारण बन रहा। इस क्रम में 12 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 18 प्रतिशत महिलाएं तनाव का सामना करती हुई मिलीं।
ये रहा नतीजा सर्वे के नतीजे के अनुसार, करीब तीन चौथाई यानि 72.2 फीसदी महिलाओं में काफी अधिक तनाव देखा गया। वहीं उनके समकक्ष केवल 53.64 फीसदी पुरुषों में इस तरह का तनाव देखा गया। घर और ऑफिस के बीच संतुलन बनाने की चुनौती का सामना महिलाएं ज्यादा कर रहीं हैं। सर्वे में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि 20 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे हमेशा निराशा और खुद को हताश महसूस करती हैं जबकि पुरुषों में इस तरह के अनुभव का आंकड़ा मात्र 9.27 प्रतिशत देखा गया।
युवाओं में अधिक तनाव
सर्वे के अनुसार, अधिक तनाव 21 से 30 वर्ष के युवाओं में देखा गया। इस उम्र के 64.42 फीसदी युवा में अत्यधिक तनाव, 31 से 40 वर्ष के समूह के 59.81 फीसदी लोगों में थोड़ा कम तनाव होता है। वहीं 41 से 50 साल के लोगों में तनाव झेलने की क्षमता अधिक होती है। इनमें केवल 53.5 प्रतिशत लोगों ने तनाव की बात कही। योरदोस्त के प्रमुख साइकोलॉजी आफिसर डॉक्टर जिनी गोपीनाथ ने कहा, ‘वर्कप्लेस के बदलते रूप जैसे हाइब्रिड वर्क मॉडल ने भी इसपर असर डाला है।’
महिलाओं में तनाव की सबसे बड़ी वजह घर और ऑफिस को संभालना तो है ही। इसके अलावा समकक्ष पुरुषों की तुलना में ऑफिस में उनके काम को नजरअंदाज करना या उन्हें कमतर समझना, काम का सही आकलन न होने के अलावा आलोचना किए जाने का भी भय महिलाओं को अधिक तनाव देता है।
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