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शिक्षकों को जानते ही नहीं विद्यार्थी, कैसे हों दाखिले

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में दाखिले न होने में योग्य शिक्षकों की कमी भी एक बड़ा कारण है। नियमानुसार लविवि को सभी कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों के नाम, उनकी फोटो सहित वेबसाइट पर अपलोड करनी है। लेकिन यह सूची अभी तक उपलब्ध नहीं है। इस वजह से विद्यार्थियों को पता ही नहीं होता कि उनके यहां कौन शिक्षक तैनात है। दाखिले न होने के पीछे यह भी एक बड़ी वजह है।


लखनऊ विश्वविद्यालय, कॉलेजों को मान्यता देते समय उनका स्थलीय निरीक्षण करता है। इसमें भवन, पुस्तकालय और अन्य मानक परखे जाते हैं। मान्यता के बाद कॉलेज में पढ़ाई की गुणवत्ता बनी रहे, इसकी जिम्मेदारी भी विवि प्रशासन की होती है। क्योंकि आवासीय विवि होने की वजह से यहां के किसी भी कॉलेज से पढ़ाई करने पर मिलने वाली डिग्री पर लविवि का नाम ही होता है।

इसलिए लविवि के गेस्ट हाउस में साक्षात्कार के बाद शिक्षकों का चयन कर उनका अनुमोदन किया जाता है। यही शिक्षक कॉलेज में पढ़ा सकते हैं। ये सभी योग्य शिक्षक होते हैं, इसलिए पर्याप्त वेतन पर ही नियुक्ति की सहमति देते हैं। जानकारों के मुताबिक, अनुमोदन के बाद योग्य के बजाय अयोग्य शिक्षकों को कम वेतन पर कॉलेजों में तैनाती दे दी जाती है। लविवि की वेबसाइट पर कोई ब्योरा न होने से यह फर्जीवाड़ा आसानी से चलता रहता है।

फोटो और आधार नंबर के साथ एक्सेल शीट में हो सूचना तो खुल जाए पोल


शासनादेश के अनुसार, कॉलेज के शिक्षक और प्राचार्य का ब्योरा उसके फोटोग्राफ समेत ऑनलाइन उपलब्ध होना चाहिए। यह ब्योरा संबंधित कॉलेज के साथ ही लखनऊ विवि की वेबसाइट पर भी होना चाहिए। एक्सेल शीट पर यह ब्योरा होने पर जैसे ही दोहराव होगा, इसकी सूचना तुंरत मिल जाएगी।

पूर्व में मिल चुके हैं मामले


- वर्ष 2017 में काकोरी स्थित रामप्रसाद बिस्मिल मेमोरियल डिग्री कॉलेज में बीटीसी विभागाध्यक्ष के रूप में डॉ. हरीश चंद्र गिरि का अनुमोदन था। उसी समय डॉ. गिरि बीकेटी के जीसीआरजी कॉलेज ऑफ टीचर्स एजूकेशन में भी अनुमोदित थे।


- वर्ष 2017 में आर्यकुल कॉलेज ऑफ एजूकेशन में प्राचार्य के रूप में निर्भय सिंह का नाम राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की वेबसाइट पर होने के साथ ही बीकेटी के मुरलीधर राम नारायण एजूकेशन में प्रवक्ता के रूप में भी अनुमोदित थे।


- वर्ष 2017 में जीएसआरएम मेमोरियल डिग्री कॉलेज में श्रुति मालवीय का नाम प्रवक्ता के रूप में अनुमोदित था, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की वेबसाइट के अनुसार उसी समय वे प्रतापगढ़ के मैनाथी कुंवर चंद्रावती महाविद्यालय की प्राचार्य भी थीं।


कोट-


फर्जीवाड़े को शह देने के लिए नहीं डाली जा रही सूची


राजभवन और शासन ने शिक्षकों की सूची एक्सेल शीट पर ऑनलाइन करने के लिए कहा है। इसके बावजूद लविवि प्रशासन, सूची ऑनलाइन नहीं कर रहा है। इसकी वजह से कॉलेजों में होने वाले फर्जीवाड़े को शह मिल रही है।


- जेपी सिंह अध्यक्ष, उच्च शिक्षा उत्थान समिति


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कड़ी कार्रवाई होगी


शिक्षक अनुमोदन में फर्जीवाड़ा रोकने के सभी उपाय किए जाएंगे। यूडीआरसी पोर्टल पर इसकी सूची उपलब्ध है। अगर किसी कॉलेज में फर्जीवाड़े की सूचना मिलती है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


- विद्यानंद त्रिपाठी, कुलसचिव लविवि

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