प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन
आयोग में परीक्षा नियंत्रक की ज्वाइनिंग के बाद आयोग को अब लंबित भर्ती परीक्षाओं पर निर्णय लेना है। अभ्यर्थियों की संख्या के लिहाज से प्रदेश में पुलिस भर्ती के बाद सहायक अध्यापक (टीजीटी) / प्रवक्ता (पीजीटी) दूसरी सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा होगी, जिसके लिए शिक्षा सेवा चयन आयोग को अतिरिक्त संसाधन जुटाने होंगे।
बीते दिनों पुलिस भर्ती और आरओ/एआरओ परीक्षा में पेपर लीक के बाद शासन ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए केंद्र निर्धारण के नियम काफी सख्त कर दिए हैं। निजी स्कूल-कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाए जाने पर रोक लाग दी गई है। साथ ही पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों पर एक पाली में परीक्षा न कराने, हर परीक्षा केंद्र में सीसीटीवी कैमरों की उपलब्धता, कंट्रोल रूम की स्थापना
अनिवार्य कर दी गई है। टीजीटी-पीजीटी के 4163 पदों पर भर्ती के लिए 13.19 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। ऐसे में प्रश्नपत्रों की सुरक्षा से लेकर केंद्र निर्धारण और परीक्षा संबंधी अन्य कार्यों के लिए शिक्षा सेवा चयन आयोग को अतिरिक्त इंतजाम करने होंगे। आयोग की नवनियुक्त अध्यक्ष से लेकर सदस्यों, सचिव और परीक्षा नियंत्रक सभी के लिए टीजीटी-पीजीटी जैसी बड़ी भर्ती परीक्षा कराने का अनुभव नया होगा और उनके सामने ढेरों चुनौतियां भी होंगी।
आयोग के सूत्रों का कहना है कि परीक्षा तिथि घोषित करने से पहले सभी व्यवस्था सुनिश्चित की जानी हैं। यही वजह है कि लंबित परीक्षाओं की तिथि पर निर्णय लेने में देर हो रही है।
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