लखनऊ। राज्य लोक सेवा अधिकरण में खाली पदों पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि इससे उच्च न्यायालय पर बोझ बढ़ता है। अधिकरण में पद खाली रहने से लोक सेवकों को त्वरित न्याय मिलने में दिक्कत आती है। लिहाजा, राज्य सरकार खाली पद भरने की प्रक्रिया दो महीने में पूरी करके नियुक्ति आदेश दे। न्यायमूर्ति राजन रॉय व ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने शुक्रवार को जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। याचिका में बताया गया कि अभी अधिकरण में केवल दो सदस्य हैं जो 5 जनवरी 2025 तक सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अधिकरण में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष (न्यायिक), एक उपाध्यक्ष (प्रशासनिक), 5 सदस्य (प्रशासनिक) और पांच सदस्य (न्यायिक) के पद स्वीकृत हैं। उपाध्यक्ष, चार सदस्य (न्यायिक) व 4 सदस्य (प्रशासनिक) के पदों के लिए 12 जून 2024 को विज्ञापन प्रकाशित किए गए थे।
अतिरिक्त एलआर संजय वर्मा ने
कोर्ट ने पूछा, पद खाली होने के छह माह पहले शुरु क्यों नहीं होती नियुक्ति प्रक्रिया
बताया कि सदस्य (प्रशासनिक) के लिए 14-15 प्रार्थना पत्र, सदस्य (न्यायिक) के लिए 12 और उपाध्यक्ष के लिए 10 आवेदन आए हैं। अध्यक्ष पद के लिए चार प्रार्थना पत्र आए हैं। प्रार्थना पत्र पर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (कार्मिक और नियुक्ति) और प्रमुख सचिव (विधि) की सर्च कमेटी निर्णय लेगी
छह माह पहले ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करें : कोर्ट
कोर्ट ने पूछा कि जब पदाधिकारियों की सेवानिवृत्ति की तिथि के बारे में पता रहता है तो नए पदाधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया छह महीने पहले शुरु क्यों नहीं की जाती? कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकार नियुक्ति प्रक्रिया दो महीने में पूरी करे और भविष्य में प्रमुख सचिव (विधि) पद खाली होने के पहले ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करें।
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