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डीएलएड के समकक्ष नहीं डीएड

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) और डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) समकक्ष डिग्रियां नहीं है। इनका पाठ्यक्रम समान नहीं है। इस आधार पर कोर्ट ने एक सहायक अध्यापक की नियुक्ति को रद्द करने के निर्णय को सही करार दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने संघप्रिय गौतम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।


याची ने वर्ष 2014 में मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से डीएड किया था और 2015 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण की थी। इसके आधार पर हुई चयन प्रक्रिया के अंतर्गत 7 जनवरी 2024 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सीतापुर द्वारा सहायक शिक्षक पद के लिए नियुक्ति पत्र जारी किया गया। हालांकि, उसे विद्यालय आवंटित नहीं किया गया क्योंकि उसका डीएड प्रमाणपत्र डीएलएड के समकक्ष नहीं माना गया। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद एनसीटीई की अधिसूचना के अनुसार, कक्षा एक से 5 तक के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन आवश्यक है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि डीएड और डीएलएड के पाठ्यक्रमों में मूलभूत अंतर है। डीएलएड बाल विकास, बाल मनोविज्ञान और शिक्षण की प्राथमिक विधियों पर केंद्रित होता है, जबकि डीएड सामान्य शिक्षण विषयों पर आधारित होता है। कोर्ट ने कहा कि याची न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पूरी नहीं करता है और इसलिए उसकी नियुक्ति नियमों के विरुद्ध है। अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि नियुक्ति आदेश को रद्द करने में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

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