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अगले सत्र में ही विद्यालयों को नए शिक्षक मिलने की उम्मीद

प्रयागराज। प्रदेश के अशासकीय, राजकीय माध्यमिक विद्यालयों और बेसिक शिक्षा के विद्यालयों को अब अगले सत्र में ही नए शिक्षक मिलने की उम्मीद है। इनमें शिक्षक भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से विज्ञापन जारी होने का इंतजार है।

अगर अगले दो-तीन माह में शिक्षक भर्ती के विज्ञापन जारी भी हो जाते हैं तो भर्तियों को पूरा होने में एक साल का वक्त लगेगा। ऐसे में राजकीय, अशासकीय माध्यमिक व परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में मौजूदा सत्र 2025-26 में शिक्षकों की कमी बनी रहेगी।

हालांकि, राजकीय व अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में एक समान नियमावली लागू होने से अब समकक्ष अर्हता का विवाद खत्म हो चुका है। भर्तियां शुरू करने का रास्ता भी साफ हो चुका है।

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती का पिछला विज्ञापन वर्ष 2018 में जारी किया गया था। सात साल बीत गए, लेकिन इसके बाद कोई नई भर्ती नहीं आई। वहीं, राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता भर्ती के लिए पिछला विज्ञापन वर्ष 2020 में आया था। अभ्यर्थी प्रवक्ता पद पर नई भर्ती के लिए भी पांच साल से इंतजार कर रहे हैं।

अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में भी भर्ती की स्थिति अच्छी नहीं है। सहायक अध्यापक (टीजीटी) व प्रवक्ता (पीजीटी) भर्ती के लिए वर्ष 2022 के विज्ञापन की लिखित परीक्षा अब तक नहीं कराई जा सक है। नई भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से रिक्त पदों का अधियाचन नहीं मिला है। वहीं, बेसिक, उच्च शिक्षा में भी अभ्यर्थियों को क्रमशः सहायक अध्यापक व असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती का नया विज्ञापन जारी होने का इंतजार है।

दो चरणों की परीक्षा से भर्ती पूरी होने में लगेगा वक्त

राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड भर्ती पहली बार दो चरणों की परीक्षा के माध्यम से कराए जाने की तैयारी है। इससे पूर्व वर्ष 2018 के विज्ञापन के तहत 10768 पदों पर भर्ती के लिए एकल परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन नई भर्ती प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के माध्यम से कराई जाएगी। ऐसे में विज्ञापन जारी होने के बाद इन भर्तियों को भी पूरा होने में कम से कम 10 से 12 माह का वक्त लगेगा।

केंद्र निर्धारण नीति में बदलाव से भी बढ़ी चुनौती

परीक्षा में पारदर्शिता व प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र निर्धारण नीति में भी व्यापक बदलाव किए जा चुके हैं। ऐसे में किसी भी बड़ी परीक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में केंद्रों की व्यवस्था कर पाना किसी भी भर्ती संस्था के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है।

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