हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक अहम निर्णय में स्पष्ट किया है कि असाधारण मुश्किलों या असाधारण उत्पीड़न का सामना कर रहे पति अथवा पत्नी विवाह के एक साल के भीतर भी तलाक का मुकदमा दाखिल कर सकते हैं।
दरअसल, हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत दम्पति विवाह के एक वर्ष के पश्चात ही तलाक मांग कर सकता है। इसी आधार पर परिवार न्यायालय ने एक दम्पति के आपसी समझौते के आधार पर दाखिल तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक चौधरी, बृजराज सिंह की पीठ ने अम्बेडकर नगर निवासी पति की अपील पर पारित किया। अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी आपसी समझौते के आधार पर विवाह विच्छेद का प्रावधान करती है, हालांकि धारा 14 स्पष्ट करती है कि मुकदमा विवाह के एक वर्ष के बाद ही लाया जा सकता है, लेकिन धारा 14 का ही परंतुक स्पष्ट करता है कि याची पति या पत्नी वैवाहिक जीवन में असाधारण कठिनाई का सामना कर रहे हों अथवा उत्पीड़न में हों तो एक वर्ष प्रतीक्षा अवधि खत्म की जा सकती है।
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