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मुश्किल: माध्यमिक स्कूलों में किताबों के संकट से टेस्ट नहीं हो पाए

लखनऊ,। यूपी बोर्ड के माध्यमिक स्कूलों का शैक्षिक सत्र शुरू हुए 44 दिन बीत गए लेकिन एनसीईआरटी की किताबें बाजार में नहीं है। अधिकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों पर उप्र. माध्यमिक शिक्षा परिषद के शैक्षिक पंचांग के अनुसार पढ़ाई का दबाव बना रहे हैं। मई के दूसरे हफ्ते में मासिक टेस्ट होने थे। किताबें न होने से पाठ्यक्रम पूरा नहीं होने से स्कूलों ने मासिक टेस्ट नहीं कराए हैं। कक्षा 9 से 12 तक 36 विषयों की 70 किताबें एनसीईआरटी और हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की 12 किताबें निजी प्रकाशकों की चलती हैं।

राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के प्रधानाचार्यों का कहना है कि यूपी बोर्ड की नामित एनसीईआरटी की किताबें बाजार में नहीं मिल रही हैं। निजी प्रकाशकों की 200 से लेकर 600 रुपये की महंगी किताबें खरीदने में बच्चे समक्ष नहीं हैं। परिषद ने एक अप्रैल को शैक्षिक कैलेण्डर जारी किया था। पंचांग के तहत मई के दूसरे हफ्ते में बहुविकल्पीय आधारित मासिक टेस्ट, जुलाई में वर्णनात्मक मासिक टेस्ट और सितम्बर में अद्धवार्षिक, नवम्बर व दिसम्बर में मासिक टेस्ट और जनवरी के दूसरे हफ्ते से 10 और 12 वीं प्री बोर्ड परीक्षाएं प्रस्तावित हैं। 9 व 11 की वार्षिक परीक्षाएं जनवरी के तीसरे हफ्ते में और बोर्ड परीक्षा फरवरी में होनी हैं। शिक्षक नेता सोहनलाल वर्मा का कहना है कि माध्यमिक स्कूलों में गरीब परिवार के बच्चे हैं। यह बच्चे एनसीईआरटी की 250-300 की किताबें खरीदने में सक्षम नहीं हैं। निजी प्रकाशकों की 600 तक की महंगी किताबें खरीदना बहुत मुश्किल है। सरकार को चाहिए कि मुफ्त किताबों की व्यवस्था करे। ताकि बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित हो और शिक्षा प्रभावित न हो।

● शैक्षिक पंचांग में मई के दूसरे हफ्ते में मासिक टेस्ट होने थे ● सत्र को 44 दिन बीत चुके किताबें बाजार से नदारद

किताब विक्रेता बोले

यूपी बोर्ड की नामित एनसीईआरटी के किताबें अभी तक बाजार में नहीं आयी हैं। जानकारी मिली है कि किताबों का टेंडर अंतिम चरण में हैं। अब नई किताबें छपकर आने के बाद बच्चों को मुहैया करा पाएंगे। प्रदीप कुमार अग्रवाल, व्यापार सदन, अमीनाबाद

शासन का पक्ष

माध्यमिक स्कूलों में नियमित कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। उप्र.माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से किताबों को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। जैसे ही आदेश मिलता है। उसका पालन होगा। डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, जेडी (माध्यमिक)

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