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करदाता नोटिस का जवाब दें : कोर्ट

कंपनी कर मांगों और जांच विवाद में उलझी

यह मामला आर्मर सिक्योरिटी नामक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी से जुड़ा है, जो सुरक्षा सेवाएं प्रदान करती है और दिल्ली जीएसटी प्राधिकरण में पंजीकृत है। कंपनी कर मांगों और जांच से संबंधित विवाद में उलझी हुई थी। इसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्रीय और राज्य कर प्राधिकरणों द्वारा समानांतर जांच और नोटिस की वैधता को चुनौती दी।

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि करदाता को केंद्रीय या राज्य कर प्राधिकरण द्वारा जारी समन या कारण बताओ नोटिस का जवाब देना अनिवार्य है। अदालत ने कहा कि केवल नोटिस जारी करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि करदाता को उपस्थित होकर प्रतिक्रिया देना जरूरी है।

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा, यदि किसी करदाता को पता चलता है कि जिस मामले की जांच या अन्वेषण चल रही है, वह पहले से किसी अन्य प्राधिकारी के अधीन है, तो उसे तुरंत लिखित रूप में उस प्राधिकारी को सूचित करना होगा जिसने बाद में जांच शुरू की।

पीठ ने यह भी कहा कि संबंधित कर अधिकारी इस सूचना के बाद आपस में संवाद करेंगे ताकि जांच के दायित्व का स्पष्ट विभाजन हो सके। यदि केंद्रीय और राज्य कर प्राधिकरण दोनों को पता चले कि एक ही मामले की जांच चल रही है, तो दोनों प्राधिकरण तय करेंगे कि कौन मामले की जांच जारी रखेगा।

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