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पुराने स्कूलों में नहीं जाना चाहते प्राइमरी के शिक्षक, वापसी के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे

उत्तर प्रदेश में परिषदीय शिक्षकों के जिले के अंदर समायोजन के कारण एकल या शिक्षकविहीन हो रहे स्कूलों का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। महराजगंज, कन्नौज, सुल्तानपुर, हमीरपुर समेत विभिन्न जिलों में एकल और शिक्षकविहीन हो रहे स्कूलों के शिक्षकों के तबादले निरस्त होने के बाद अब ऐसे शिक्षकों ने हाईकोर्ट का रुख किया है। 30 जून को समायोजित शिक्षक अब अपने पुराने स्कूल (घर वापसी) में जाना नहीं चाहते और इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं की हैं। गौतमबुद्धनगर (गाजियाबाद) की शिक्षिकाओं की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी है।






बेसिक शिक्षा विभाग ने 23 मई 2025 को जनपद के अंदर समायोजन की नीति जारी की थी। 26 से 28 जून 2025 तक शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लेकर जिले अंदर समायोजन की सूची 30 जून को जारी की गई थी। इसमें 25 हजार से अधिक शिक्षकों का समायोजन हुआ। सूची जारी होते ही विवाद शुरू हो गया। एक जुलाई 2025 को बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी बीएसए को निर्देश जारी किया कि जिले के अंदर समायोजन आरटीई 2009 और यूपीआरटीई 2011 के मान-मानकों के अनुसार शिक्षकों के विषय, कैडर और पदनाम का परीक्षण कर ही कार्यमुक्त करें।






30 जून को जारी समायोजन सूची के बाद बड़ी संख्या में परिषदीय स्कूल एकल और शिक्षकविहीन हो रहे थे, इसलिए तमाम जिलों के बीएसए ने शिक्षकों को कार्यमुक्त करने से इनकार कर दिया। जिन जिलों में शिक्षक कार्यमुक्त हो चुके थे, उनका समायोजन आदेश ही निरस्त कर दिया गया है। इसी के खिलाफ शिक्षक हाईकोर्ट पहुंचे हैं क्योंकि वे अब अपने पुराने स्कूल में नहीं जाना चाहते हैं।






शिक्षकों की उपस्थिति की गाइडलाइन जल्द

उधर, प्रदेशभर के एक लाख से अधिक परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर जल्द विस्तृत गाइडलाइन जारी हो सकती है। इस संबंध में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर सक्रिय हो गए हैं और 30 अक्तूबर को अगली सुनवाई से पहले दिशा-निर्देश जारी होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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