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पंचायत चुनाव में नहीं हो पाएगा फर्जी मतदान

लखनऊ, । प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनावों में फर्जी वोटिंग पर शिकंजा कसेगा। राज्य निर्वाचन आयोग एक मोबाइल एप तैयार कर रहा है, जिसकी मदद से मतदाता का फोटो खींचते ही यह पता चल जाएगा कि यह पहले दूसरी जगह वोट डालकर तो नहीं आया है। पीठासीन अधिकारी तत्काल ऐसे फर्जी वोट डालने वाले लोगों को पकड़ लेगा। फिर उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची बनाने का काम किया जा रहा है।

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से मोबाइल एप बनाए जाने का कार्य किया जा रहा है। पारदर्शी ढंग से पंचायत चुनाव हों इसके लिए यह तैयारी की जा रही है। चुनाव से पहले पीठासीन अधिकारियों को इस मोबाइल एप को चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वह आसानी से फर्जी वोटिंग करने वालों को पकड़ सकें। मतदाता सूची पर विशिष्ट पहचान नंबर सभी मतदाताओं का अंकित होगा।

मतदाता विशिष्ट पहचान नंबर से ही पहचाना जाएगा। मतदान करने वाले सभी वोटरों की वोट डालने से पहले पीठासीन अधिकारी फोटो खींचेंगे। मोबाइल एप के माध्यम से फोटो खींचते ही यह डिटेल आ जाएगी कि यह मतदाता दूसरे पोलिंग बूथ पर अपना वोट डाल चुका है। अब यह दोबारा वोट डालने आया है।

आरक्षण तय करने के लिए गठित नहीं हो पाया आयोग

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण तय करने के लिए अभी तक समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन नहीं हो पाया है। शासन स्तर पर इसके अध्यक्ष व सदस्यों के चयन के लिए प्रक्रिया के लिए हरी झंडी नहीं दी गई है। ऐसे में पंचायत चुनाव को लेकर ऊहापोह की स्थिति है, क्योंकि आयोग का गठन होने के बाद ही काम तेजी से आगे बढ़ेगा। पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर कहते हैं कि बिहार चुनाव में व्यस्तता के चलते इस ओर अभी ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। 14 नवंबर के बाद पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां तेज होंगी। समय पर ही पंचायत चुनाव हो, इसकी पूरी कोशिश होगी।

डुप्लीकेट मतदाताओं में 13.28 लाख की ही जांच

पंचायत चुनाव अगले वर्ष अप्रैल-मई तक होने हैं मगर अभी तक मतदाता सूची की गड़बड़ियां दूर नहीं हो पाई हैं। मतदाता सूची में 90.76 लाख वोटरों के एक से अधिक बार नाम होने से सूची में 2.27 करोड़ जगह दर्ज हैं। ऐसे में इन 2.27 डुप्लीकेट वोटरों की जांच कर नाम हटाने के निर्देश दो महीने पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने दिए थे, मगर अभी तक सिर्फ 13.28 लाख डुप्लीकेट मतदाताओं की जांच कर 1.63 लाख नाम काटे गए हैं। यानी सिर्फ छह प्रतिशत डुप्लीकेट मतदाताओं की ही जांच हो सकी है। राज्य निर्वाचन आयोग के बाद अब मंत्री ने भी ढिलाई पर नाराजगी जताई है।

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