जौनपुर। राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी ने मंगलवार को सदन के शून्यकाल में परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के लिए टीईटी (TET) की अनिवार्यता का विषय प्रमुखता से रखा। उन्होंने आग्रह किया कि 2010 से पहले नियुक्त सभी शिक्षकों को टीईटी की बाध्यता से मुक्त किया जाना चाहिए।
सांसद सीमा द्विवेदी ने कहा कि सरकार द्वारा प्राथमिक और बुनियादी शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार हेतु अनेक महत्वपूर्ण योजनाएँ चलाई जा रही हैं—जैसे पीएम श्री स्कूल, अटल आवासीय विद्यालय, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, ऑपरेशन कायाकल्प, और निपुण भारत मिशन। इन सभी पहलों को आगे बढ़ाने में शिक्षक लगातार शानदार योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 20–30 वर्षों से कार्यरत कई शिक्षक आधुनिक तकनीक में प्रशिक्षित हुए हैं और अब ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कंप्यूटर, एआई और कोडिंग जैसी नई तकनीकों की शिक्षा दे रहे हैं। इससे लाखों बच्चों का भविष्य संवर रहा है।
इसके बावजूद, इतने लंबे समय से सेवा दे रहे इन शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता के कारण अतिरिक्त मानसिक दबाव बना हुआ है। इसलिए उनका अनुरोध है कि आरटीई एक्ट लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखा जाए।
सदन में शिक्षकों की समस्याओं को आवाज देने पर प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष व प्रांतीय संयुक्त महामंत्री अमित सिंह, और पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुशील उपाध्याय ने सांसद द्विवेदी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि हाल ही में शिक्षक संगठनों ने उन्हें ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे को उठाने का आग्रह किया था, जिस पर उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया था।


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