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विज्ञान एक तो जीव विज्ञान के शिक्षक का अलग पद क्यों: कोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट को सरकार एलटी ग्रेड के सहायक अध्यापक भर्ती-2025 के लिए जारी विज्ञापन मेंजीव विज्ञान के शिक्षक का पद अलग से विज्ञापित करने के सवाल का जवाब नहीं दे सकी। सरकारी वकील की गुजारिश पर कोर्ट ने जवाब देने के लिए दो हफ्ते की अतिरिक्त मोहलत दी है।

जीव विज्ञान के यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ नंदन की खंडपीठ ने संतोष कुमार पटेल व अन्य की याचिका पर दिया है। इससे पहले कोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा था कि 1998 की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विज्ञान की सभी शाखाओं (जीव, भौतिक,रसायन) को संयुक्त रूप से विज्ञान विषय घोषित किया गया है तो सहायक अध्यापक के लिए जारी विज्ञापन में जीव विज्ञान के लिए अलग से पद क्यों विज्ञापित किया गया है।

मामला उप्र. लोक सेवा आयोग की ओर से 28 जुलाई 2025 को एलटी ग्रेड के सहायक अध्यापक भर्ती के लिए जारी विज्ञापन से जुड़ा है। इसमें में सहायक अध्यापक (विज्ञान) और (जीव विज्ञान) के पद अलग-अलग विज्ञापित किए गए हैं। इसके खिलाफ ऐसे अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिन्होंने जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन और भौतिक विज्ञान से स्नातक किया है।

याचियों ने दलील है कि 28 मई 1998 को माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सभी विद्यालयों को पत्र जारी कर यह स्पष्ट कर दिया था कि हाईस्कूल स्तर पर केवल एक ही विज्ञान पेपर होगा। इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र को मिलाकर सामाजिक विज्ञान विषय बनाया गया। इसके विज्ञापन में भी कोई अलगाव नहीं किया गया है पर विज्ञान के मामले में अलग-अलग योग्यता तय कर दी गई है जो भेदभावपूर्ण है।

कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए सरकार से जवाबी हलफनामा तलब किया था। वहीं, सुनवाई के वक्त अपर मुख्य सचिव की ओर से पेश हलफनामे में कोर्ट के सवालों का जवाब नहीं दिया गया। लिहाजा, कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए दो हफ्ते की अतिरिक्त मोहलत देते हुए मामला 17 दिसंबर को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।

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