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सीनियरिटी एवं स्कूल चार्ज से संबंधित स्थिति की स्पष्ट व्याख्या :

#सीनियरिटी एवं स्कूल चार्ज से संबंधित स्थिति की स्पष्ट व्याख्या :



बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की वरिष्ठता (Seniority) तथा विद्यालय के चार्ज (कार्यवाहक प्रधानाध्यापक) को लेकर कई बार भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सेवा नियमों एवं शासनादेशों के अनुसार स्थिति को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है—


🔹 सीनियरिटी का आधार

शिक्षकों की वरिष्ठता का निर्धारण मौलिक नियुक्ति की तिथि के आधार पर किया जाता है।

जिस शिक्षक की नियुक्ति पहले हुई है, वही वरिष्ठ माना जाएगा।

यदि शिक्षक A की नियुक्ति तिथि शिक्षक B से पूर्व की है, तो शिक्षक A वरिष्ठ होगा—

भले ही शिक्षक A किसी अन्य जनपद से स्थानांतरित होकर वर्तमान जनपद में आया हो।

🔹 जनपद परिवर्तन का प्रभाव

जनपद (जिला) परिवर्तन से—

सेवा की निरंतरता समाप्त नहीं होती

मौलिक नियुक्ति तिथि यथावत रहती है

केवल जनपद-स्तरीय वरिष्ठता सूची में पुनः क्रम निर्धारित होता है

अतः कैडर / सेवा स्तर की वरिष्ठता समाप्त नहीं होती।

🔹 चयन वेतनमान का प्रभाव

चयन वेतनमान एक वित्तीय लाभ है।

इसका वरिष्ठता (सीनियर–जूनियर) के निर्धारण से कोई संबंध नहीं होता।

किसी शिक्षक को पहले चयन वेतनमान मिलने से वह वरिष्ठ नहीं हो जाता।

🔹 विद्यालय के चार्ज का सिद्धांत

विद्यालय का चार्ज (कार्यवाहक प्रधानाध्यापक) सामान्यतः—

उसी विद्यालय में कार्यरत

सेवा में वरिष्ठ

निरंतर सेवा वाले

तथा किसी विभागीय बाधा से मुक्त

सहायक अध्यापक को दिया जाता है।

इस आधार पर, यदि शिक्षक A वरिष्ठ है, तो चार्ज का प्रथम अधिकार/दायित्व शिक्षक A का होगा।

🔹 चार्ज लेने से मना करने की स्थिति

विद्यालय का चार्ज लेना इच्छा का विषय नहीं, बल्कि प्रशासनिक दायित्व माना जाता है।

यदि—

शिक्षक A चार्ज लेने से मना करता है, और

शिक्षक B भी चार्ज लेने से मना करता है,

तो दोनों के लिखित अस्वीकार के बावजूद, प्रशासनिक आवश्यकता के अंतर्गत प्रायः आदेश शिक्षक A के नाम ही जारी किया जाता है।

केवल विशेष परिस्थितियों (स्वास्थ्य, विभागीय कारण आदि) में ही

किसी अन्य विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक को अस्थायी रूप से चार्ज दिया जा सकता है।

🧾 संक्षिप्त निष्कर्ष

✔️ वरिष्ठता का आधार — मौलिक नियुक्ति तिथि

✔️ जनपद परिवर्तन से सीनियरिटी समाप्त नहीं होती

✔️ चयन वेतनमान वरिष्ठता निर्धारित नहीं करता

✔️ विद्यालय का चार्ज वरिष्ठ का अधिकार एवं दायित्व है

✔️ चार्ज से मना करना अनुशासनात्मक कार्यवाही का कारण बन सकता है




1️⃣ सीनियरिटी की दो कानूनी अवधारणाएँ (यहीं असली खेल है)

🔹 (A) सेवा / कैडर सीनियरिटी

आधार: मौलिक नियुक्ति तिथि

यह पूरे प्रदेश/कैडर स्तर पर होती है

इससे:

चयन वेतनमान

पदोन्नति

सेवा लाभ

तय होते हैं

👉 यह कभी समाप्त नहीं होती, चाहे जनपद बदले

🔹 (B) जनपद-स्तरीय सीनियरिटी

यह केवल प्रशासनिक सुविधा के लिए होती है

इसका उपयोग:

स्कूल चार्ज

स्थानीय तैनाती

जनपद-स्तर की व्यवस्था

के लिए किया जाता है

👉 विभाग इसी जनपद सीनियरिटी का सहारा लेकर आदेश जारी करता है

2️⃣ अंतरजनपदीय स्थानांतरण में विभाग क्या करता है?

जब कोई शिक्षक अंतरजनपदीय स्थानांतरण से आता है, तो शासनादेशों में अक्सर यह पंक्ति होती है:

“स्थानांतरित शिक्षक को नए जनपद की वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे रखा जाएगा।”

📌 यहीं से भ्रम और दुरुपयोग शुरू होता है।




3️⃣ विभाग इस लाइन की गलत व्याख्या कैसे करता है?

❌ विभाग की व्याख्या (व्यवहार में)

बाहर से आए शिक्षक की

पूरी सीनियरिटी समाप्त मान ली जाती है

उसे नए जनपद में

सबसे कनिष्ठ मान लिया जाता है

उससे बाद में नियुक्त शिक्षक को

सीनियर घोषित कर दिया जाता है

उसी आधार पर:

स्कूल चार्ज

प्रभारी

स्थानीय निर्णय

दिए जाते हैं

👉 यह प्रशासनिक सुविधा आधारित व्याख्या है, शुद्ध सेवा नियम नहीं।


4️⃣ विभाग ऐसा क्यों करता है? (असल कारण)

🔹 कारण 1: स्थानीय असंतोष से बचने के लिए

पुराने जनपद के शिक्षक दबाव बनाते हैं

“बाहर से आकर हमसे सीनियर कैसे?”

👉 विभाग शांति बनाए रखने के लिए आदेश दे देता है

🔹 कारण 2: शासनादेश की अस्पष्ट भाषा

“सबसे नीचे रखा जाएगा”

यह नहीं लिखा होता कि:

किस संदर्भ में

किस प्रयोजन से

👉 BSA/BEO अपनी सुविधा से अर्थ निकाल लेते हैं

🔹 कारण 3: स्कूल चार्ज को सेवा लाभ नहीं माना जाता

विभाग का तर्क:

“चार्ज कोई पदोन्नति नहीं, केवल स्थानीय व्यवस्था है”

इसलिए वे कहते हैं:

सेवा सीनियरिटी अलग

चार्ज के लिए जनपद सीनियरिटी लागू


5️⃣ क्या विभाग के ऐसे आदेश पूरी तरह सही हैं?

⚠️ कानूनी स्थिति (साफ शब्दों में)

सेवा सीनियरिटी खत्म करना = गलत

चयन वेतनमान / प्रमोशन में कनिष्ठ मानना = अवैध

लेकिन—

👉 केवल स्कूल चार्ज के मामले में

अदालतें कई बार विभाग के “प्रशासनिक विवेक” को स्वीकार कर लेती हैं,

यदि आदेश में लिखा हो:

“हित में / प्रशासनिक आवश्यकता के दृष्टिगत”

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