जिला समिति से कर सकेंगे अभिभावक अब निजी स्कूलों की मनमानी फीस की शिकायत, शुल्क विनियमन विधेयक, 2018 में यह नई व्यवस्था
लखनऊ : अभिभावक अब निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली की शिकायत जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित की जाने वाली जिला शुल्क नियामक समिति से कर सकेंगे। विधानसभा के बाद शुक्रवार को विधान परिषद से भी पारित उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2018 में यह नई व्यवस्था की गई है। निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर अंकुश लगाने के लिए उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश, 2018 बीती नौ अप्रैल से प्रदेश में लागू हुआ था। इस अध्यादेश में मनमानी फीस वसूली की शिकायत के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में मंडलीय शुल्क नियामक समिति गठित की गई थी। अध्यादेश के प्रतिस्थानी के तौर पर विधानमंडल से पारित विधेयक में इस व्यवस्था में बदलाव करते हुए मनमानी फीस वसूली की शिकायतों के निस्तारण के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में अध्यक्ष सहित सात सदस्यीय जिला शुल्क नियामक समिति गठित करने का प्रावधान किया गया है। 1विधान परिषद में विधेयक को पेश करते हुए उप मुख्यमंत्री व नेता सदन डॉ.दिनेश शर्मा ने बताया कि इसके दायरे में वे सभी मान्यताप्राप्त निजी स्कूल आएंगे जिनकी वार्षिक फीस 20 हजार रुपये से अधिक है। यह विधेयक उप्र बेसिक शिक्षा परिषद, उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद, सीबीएसई, आइसीएसई, इंटरनेशनल बेक्कलॉरेट, इंटरनेशनल जनरल सर्टीफिकेट ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन या किसी अन्य बोर्ड द्वारा मान्यता/संबद्धताप्राप्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट स्तर तक के स्कूल-कॉलेजों पर लागू होगा। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान भी इसके दायरे में आएंगे। विधेयक के प्रावधान निजी पूर्व प्राथमिक विद्यालयों पर लागू नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि विधेयक के लागू होने पर निजी स्कूल न तो मनमाने तरीके से फीस बढ़ा सकेंगे और न ही विद्यार्थियों के अभिभावकों को कॉपी-किताब, यूनीफॉर्म, जूते-मोजे व स्टेशनरी किसी दुकान विशेष से खरीदने के लिए मजबूर कर सकेंगे। पांच साल से पहले यूनीफॉर्म भी नहीं बदल पाएंगे।