69000 शिक्षक भर्ती कटऑफ पर हाईकोर्ट ऑर्डर का बिल्कुल सही विश्लेषण: राहुल पाण्डेय"अविचल"की कलम से Shikshak Bharti, - Get Primary ka Master Latest news by Updatemarts.com, Primary Ka Master news, Basic Shiksha News,

69000 शिक्षक भर्ती कटऑफ पर हाईकोर्ट ऑर्डर का बिल्कुल सही विश्लेषण: राहुल पाण्डेय"अविचल"की कलम से Shikshak Bharti,

69000 शिक्षक भर्ती कटऑफ पर हाईकोर्ट ऑर्डर का बिल्कुल सही विश्लेषण: राहुल पाण्डेय"अविचल"की कलम से Shikshak Bharti,


कोर्ट ऑर्डर का बिल्कुल सही विश्लेषण किया इसने वाकई काबिले तारीफ़ है
राहुल पाण्डेय"अविचल"की कलम से
कोर्ट ने क्यों कहा कि परीक्षा निरस्त क्यों नहीं की?
नियमावली के 20वें संशोधन में रूल के क्लॉज़ 8 में परीक्षा जोड़ी गयी। शिक्षामित्रों ने चुनौती दी कि न्यूनतम योग्यता निर्धारित करने का अधिकार NCTE को है।
राज्य ने 22वां संशोधन करके परीक्षा को रूल 8 से हटाकर रूल 14 में कर दिया और शर्त लगाई कि भर्ती में आवेदन वही करेगा जो परीक्षा उत्तीर्ण होगा।
मामला खण्डपीड में विचाराधीन है।
68500 परीक्षा और भर्ती दोनो का शासनादेश जारी कर दिया। उत्तीर्ण अंक 45/40 परसेंट रखा।
परीक्षा से पहले उत्तीर्ण अंक 33/30 परसेंट कर दिया और परीक्षा हो गयी।
मामला कोर्ट में गया तो कोर्ट ने 33/30 परसेंट के शासनादेश पर स्थगन कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो 45/40 परसेंट पर रिजल्ट जारी कर सकती है।
सरकार ने रिजल्ट जारी किया तो 41556 ही उत्तीर्ण हुए और सबको नौकरी दे दी।
69000 भर्ती हेतु सरकार ने शासनादेश जारी किया भर्ती हेतु शासनादेश नहीं जारी किया।
परीक्षा हेतु उत्तीर्ण अंक नहीं निर्धारित किया तो इस आधार पर याचिका हुई कि भर्ती हेतु आवेदन वही करेगा जो परीक्षा उत्तीर्ण होगा। इसलिए परीक्षा हेतु उत्तीर्ण अंक होना चाहिए।
सरकार ने परीक्षा के बाद उत्तीर्ण अंक लाया तो बीच गेम में परिवर्तन के कारण 5/6/7 जनवरी 2019 का कटऑफ लगाने का आदेश बीच गेम में नियम परिवर्तन के कारण चैलेन्ज हो गया और हाई कोर्ट की एकल पीठ (लखनऊ) ने स्टेटस को लगा दिया।
कोर्ट ने कहा कि रूल में है कि जो परीक्षा उत्तीर्ण होगा वही भर्ती हेतु आवेदन करेगा। सरकार परीक्षा के लिए उत्तीर्ण अंक निर्धारित किये बगैर ही परीक्षा करा दी। बगैर उत्तीर्ण अंक दिए कोई परीक्षा हो नहीं सकती है, बाद में उत्तीर्ण अंक लगाना विधि के नियमों के विरुद्ध है और बगैर उत्तीर्ण हुए भर्ती हेतु आवेदन नहीं हो सकता है तो ऐसी परीक्षा रद्द क्यों न कर दी जाए। अधिकारियों को परीक्षा कराना ही नहीं आता है।
इस तरह अब शिक्षामित्रों को रूल 14(3) का वायरस निर्णीत कराना चाहिए। कोर्ट कट ऑफ तो उड़ा देगी लेकिन भर्ती में आवेदन के समय फिर याचिका होगी कि बगैर उत्तीर्ण हुए ही आवेदन हो रहा है तो पुनः विवाद होगा।
कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि शिक्षामित्र को सुप्रीम कोर्ट से दो अवसर मिला है तो एक परीक्षा में 45/40 का कटऑफ और दूसरी परीक्षा हेतु 65/60 का कटऑफ क्यों रखा गया?
वस्तुतः कोई याचिका इस बात को लेकर नहीं है कि परीक्षा रद्द हो। अतः सिर्फ कटऑफ पर ही आदेश आएगा।
अगर एक याचिका इस प्रार्थना के साथ हो कि भर्ती में आवेदन हेतु उत्तीर्ण अंक होना चाहिए लेकिन बगैर उत्तीर्ण अंक रखे ही परीक्षा हुई इसलिए यह परीक्षा ही अवैध है, सरकार परीक्षा रद्द करके उत्तीर्ण अंक रखकर तब परीक्षा कराए तो परीक्षा रद्द भी हो सकती है।
अगर वायरस याचिका निस्तारित हुई और उत्तीर्ण अंक रखना RTE एक्ट 23(1) के विरुद्ध है तो फिर परीक्षा रद्द न होगी और मात्र कटऑफ ही खत्म होगा।
उत्तीर्ण अंक रखना नियम संगत है तो फिर परीक्षा रद्द करके उत्तीर्ण अंक रखकर परीक्षा करानी पड़ेगी।
रही बात बीएड/बीटीसी वालों की तो उन्हें भारांक के विरुद्ध पैरवी करनी चाहिए।
नोट: उपरोक्त बातें पैरवी पर निर्भर हैं । 

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