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सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश के 1 लाख 72 हजार साधारण शिक्षामित्र की आवाज बुलंद करेगी टीम रिज़वान अंसारी

आज प्रदेश का लाखों शिक्षामित्र इस बात को लेकर व्यथित है कि आखिर 25 जुलाई 2017 के जजमेंट को किस प्रकार परिभाषित एवं क्रियान्वित किया जाय कि संविदा कर्मी शिक्षामित्र कुछ समय तक अपने आपको स्थायित्व की श्रेणी में महसूस कर सके। टीम पिछले डेढ़ वर्ष से विभिन्न शिक्षामित्र से सम्बंधित केसों की पैरवी कर रही है। आप सभी के आशीर्वाद और सहयोग से आज तक किसी भी केस में टीम ने मात नही खाई है। न्यायालय की इस लड़ाई के दौरान टीम विभिन्न स्तर से विभिन्न अधिकारियों के सम्पर्क में रही। हर तरफ से अधीनस्थ अधिकारी गणों से बात चीत में ये साफ हो गया कि कोई भी कतई ये नही चाहते कि शिक्षामित्र रूपी संविदा कर्मी को कहीं से भी कोई लाभ की गुंजाइश मिल सके।


टीम अपनी इस अंतर्मन की इस दशा का बिल्कुल खुलासा नही करना चाहती थी लेकिन चंद लोगों की की रोज रोज की घोषणा के तारीखें,समायोजन बहाली के झूठे वादों ने खुलासे को मज़बूर कर दिया। ऐसे लोग जो रोज रोज समायोजन की बहाली का वादा कर रहे हैं वो कोई भी एक ऐसा साक्ष्य या दस्तावेज दिखा दे,टीम उनकी बात को सत्य मानकर ये संघर्ष आजीवन के लिए छोड़ देगी। यदि नही है तो उनसे निवेदन है कि कृपया आम शिक्षामित्र को धोखे में रखकर उनके संघर्ष की धार को कुंद मत कीजिये। चूंकि शिक्षामित्र विगत 18 वर्षों के अथक परिश्रम से ही 2 रोटी खा रहा है भविष्य की 2 रोटी को सुरक्षित करने के लिए कुछ और संघर्ष कर लेने दिया जाय,परिणाम चाहे कुछ भी हो।

चूंकि वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी से कुछ भी होने की गुंजाइश न के बराबर है इसलिए टीम ने एक छोटे से न्यायालयी प्रयास की ओर कदम बढ़ाया है। इसी अनुक्रम में टीम की मुलाकात मिशन सुप्रीम कोर्ट टीम के मुखिया "रबीअ बहार जी (बरेली)" से हुई। उन्होंने मा0 सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल अपील एवं रिवियू की लड़ाई जबरदस्त साक्ष्यों के साथ लड़ी। ये महसूस तब हुआ जब हमारे वकीलों ने उनकी स्पेशल अपील को पढ़ा। ये हमारा दुर्भाग्य एवं सोची समझी साजिश ही रही कि हम मा0 सुप्रीम कोर्ट से अपना समायोजन बचा पाने में विफल रहे।चूंकि उनकी टीम आर्थिक आधार पर इतनी सक्षम नही थी कि वो आगे की लड़ाई क्यूरेटिव पिटीशन के रूप में लड़ सकें हालांकि उनके साक्ष्य और SLP की ड्राफ्टिंग बहुत उम्दा एवम उच्च स्तर की है। इसलिए रबीअ बहार जी ने अपनी पूरी SLP के दस्तावेज पूरे साक्ष्य सहित , रिवियू पिटीशन की ड्राफ्ट कॉपी टीम रिज़वान अंसारी को सौंप दी। टीम ने अपने निजी खर्चे पर 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को प्रतिनिधित्व करने वाली इस *क्यूरेटिव पिटीशन को 15 फरवरी 2019* को ही मा0 सुप्रीम कोर्ट में फ़ाइल कर दिया। इस क्यूरेटिव पिटीशन की ड्राफ्टिंग,फाइलिंग के नाम पर टीम ने न तो एक पैसा लिया और न तो किसी से लेगी। यहाँ तक क्यूरेटिव के लिए सीनियर वकील के सर्टिफिकेट का खर्चा भी टीम ने अपनी जेब से दिया। टीम ने अपनी क्यूरेटिव पिटीशन में ओरल हियरिंग/ओपन कोर्ट की हियरिंग के लिए एप्लीकेशन भी फ़ाइल की है ,जिसका एप्लीकेशन नम्बर- 29473/2019 है।

अभी तक मा0 सुप्रीम कोर्ट में जितनी भी क्यूरेटिव पिटीशन फ़ाइल हुई हैं,सभी की लिस्टिंग एक साथ बंच होकर होगी।

क्यूरेटिव पिटीशन मा0 सर्वोच्च न्यायालय की लड़ाई का अंतिम चरण होता है। इसमे मात्र 1% ही राहत मिलने को आशा होती है। शिक्षामित्र केस एक पूर्णतः हारा हुआ केस है जिसे फार्मर मा0 जस्टिस श्री आदर्श गोयल ने बखूबी अंजाम दिया था। हम सिर्फ इसी 1% जीत की आशा को लेकर लड़ रहे हैं। यदि केस ओपन हियरिंग के लिए एक्सेप्ट हुआ तो टीम अपनी पूरी ताकत इस केस को जीतने में लगा देगी। अभी प्राथमिक सुनवाई में वकीलों का कोई खर्च नही होता क्योंकि क्यूरेटिव पिटीशन चैंबर में सिर्फ जजेस ही देखते हैं वहाँ कोई भी वकील बहस के लिए नही जा सकता।

टीम ने 1 लाख 72 हजार आम शिक्षामित्रों की आशा भरी निगाहों को देखते हुए ये कदम बढ़ाया है।टीम ईश्वर से प्रार्थना करती है बस एक बार ये याचिका ओपन हियरिंग के लिए एक्सेप्ट हो जाये। जीत और हार के डर से टीम अपनी लड़ाई नही छोड़ सकती क्योंकि हम ये बखूबी जानते हैं

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