69000 भर्ती मामला बीएड केस कट ऑफ मामले के साथ टैग-डिटेग एक हकीकत
साथियो जब सिंगल बेंच में 69000 मामले के की सुनवाई चल रही थी तो सभी सुनवाई में हमारी टीम की तरफ से मैं खुद कोर्ट में उपस्थित रहा हूँ और वादी पक्ष के जितने भी सीनियर थे एल पी मिश्रा सर्, उपेन्द्र मिश्रा सर् एच एन सिंह सर् राधाकान्त ओझा सर्, परिहार सर्सभीलोगों ने बीएड को बाहर करने के लिए बहस की जोकि पूरे केस की सुनवाई के लगभग 60% हिस्सा थी।।चूंकि सिंगल बेन्च में इनकी रिटो मे बीएड को बाहर करने के लिए कोई भी प्रेयर नही थी तो उसपर कोई भी फैसला नही दया गया है और यह 148 पन्नों के ऑर्डर मे सिंगल बेंच के जज साहब ने लिखा भी है।।अब बात करते हैं जब इन्होने सिंगल बेंच में मोइन सर् की बेंच मे बीएडके खिलाफ रिट डाली थी तो हमारी टीम की तरफ से किये गए प्रशान्त चन्द्रा सर् की लगातार दो घंटे बहस के बाद इनलोगो ने रिट को वापस ले लिया और फिर से डबल बेंच में अपील की जिसको कट ऑफ मामले से टैग करवा दिया गया।।
अब जब सिंगल बेंच में कोई भी प्रेयर न होने के बावजूद भी बीएड के खिलाफ बहस हुई तो क्या गारंटी है कि बीएड मामले को अलग करवाने से बीएड के खिलाफ विरोधी बहस नही करवाएंगे।।मेरे हिसाब से कोई गारंटी नही लेगा क्योंकि लोग अपना स्वार्थ देख रहे हैं और कुछ नही।। केस को डिटेग करवाकर अलग से सीनियर लाना कोई बुद्धिमानी नही है कुछ विधवा विलाप कर रहे हैं उनको करने दे जबतक हमलोग नही चाहेंगे केस डिटेग नही होगा।।
दोस्तों अब चूँकि केस में सरकार की तरफ से ag साहब भी आ गए हैं तो दोनों ही मामलों पर खुद ही बहस करेंगे मामले को डिटेग करवा देने से जरूरी नही की हर मुद्दे पर उपस्थित होकर बहस करें।।मामले को डिटेग करवाने वालों के लिए एक सलाह है कि सभी सीनियर की ब्रीफिंग अच्छे से करवा कर 8 को उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करवाएं।।
धन्यवाद
अखिलेश शुक्ला
बीएड लीगल टीम लखनऊ