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68500 Shikshak Bharti News :-जिला आवंटन 41556 आगे क्या

68500 Shikshak Bharti News :-जिला आवंटन 41556 आगे क्या:-*


1.सबसे पहले सभी MRC अर्थात RESERVED CATEGORY CANDIDATES को बधाई


2.सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी विचलित न हो, ये ऑर्डर कुछ ऐसा लेकर आया है,जिसने ,6000 के मास्टरमाइंड अम्बरीष तिवारी और आशीष त्रिवेदी की नींद हराम कर दी है।



3. आपको यह जानकार बहुत प्रसन्नता होगी कि:-


अम्बरीष तिवारी व आशीष त्रिवेदी जिन्होंने 19737 को रद्द कराने के लिए न जाने कहा कहा के जजमेंट और दलीले IA द्वारा कोर्ट के सामने रखी,वह सारी दलीले जज साहब ने सुप्रीम कोर्ट के REFERENCE ORDERS को बेस बनाकर गलत साबित कर दी।

*जिनमे मुख्य दलीले* :-


1.याचिओ ने बिना किसी PROTEST के जोइनिंग की और जब 6000 की नियुक्ति हो गई तब याचिओ ने कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखी


2. याचिओ ने COUNSELLING में भाग लिया ,जोइंनिग की, और इस प्रकार याचिओ को कोई अधिकार नही है कि वो अब चयन प्रक्रिया को CHALLENGE करे


याचिओ ने जो वरीयता दी उसी के अनुसार याचिओ को ज़िला मिला ,इसलिए उनका कोई भी GRIEVANCE ACCEPTABLE नही है।


3. याचिओ ने हलफनामा दिया है कि वो ट्रांसफर की मांग नही करेंगे


4. याचिओ ने फॉर्म भरते वक्त सारी कंडीशन्स ACCEPT की थी


5. याचिओ को कहा पोस्टिंग दी जानी चाहिए ये परिषद का DISCRETION है ,इस पर याचिओ का कोई भी GRIEVANCE ACCEPTABLE नही है।


6. अमन चंदेल की same matter की याचिका पहले ही कोर्ट से रद्द हो चुकी है ,इसलिए 19737 को भी रद्द कर दिया जाए।


7. आवंटन प्रक्रिया के लिए एक computer software को employ किया गया था,जिसने सभी के लिए समान रूप से बिना discrimination के ज़िले आवंटित किए ,इसलिए याचिओ का grievance unacceptable है।


ये सभी दलीले सरकार व 6000 के वकीलो ने WRITTEN ARGUEMENT,बहस के दौरान व अपने COUNTER AFFIDAVIT में भी बार बार कही ,जिसे जज साहब ने सुप्रीमकोर्ट के एक ऑर्डर को आधार बनाकर सिरे से नकार दिया, और सभी दलीलो को निराधार माना और अंततः ज़िला आवंटन में गड़बड़ हुई और authorities ने discrimination किया ये बात जजमेंट में लिखी गई है।


ये बात अब सरकार और 6000 दोनो को बहुत परेशान करेगी, आगे की कोर्ट की लड़ाई में 6000 के पास कुछ भी बोलने को नही होगा।


साफ एवं कम शब्दो मे 6000 व सरकार के गलत काउंटर का एनकाउंटर जज साहब ने ऐसा कर दिया है कि आगे की कोर्ट कार्यवाही में ये लोग बहस करने की स्थिति में नही आ पाएंगे।

4.MRC अभ्यर्थियो की दो विचारधारा हो सकती है,बड़े शहरो में ओबीसी की सीटे MRC अभ्यर्थियो के सापेक्ष कम पड़ेंगी।


वही छोटे शहरो में ओबीसी की पर्याप्त सीटे बची हुई है।


एससी/एसटी अभ्यर्थियो को उनके ज़िले आराम से मिलेंगे।


परन्तु सत्र का बहाना बनाकर JULY से पहले सरकार आपको कुछ लाभ नही देगी


5. *जज साहब ने MRC अभर्थियो की ज़िला आवंटन सूची को रद्द कर दिया है, आइए इसको समझते है:-*


1.शेखर एक GEN CANDIDATE


2.नीतू एक OBC CANDIDATE


3.अंकित एक SC CANDIDATE
शेखर का गुणांक 60


नीतू का गुणांक 70


अंकित का गुणांक 65

पहली सूची जो 31 अगस्त 2018 को जारी हुई थी उसमे नीतू को सामान्य वर्ग में चयनित होने के कारण अलीगढ़ मिला, वही अंकित को भी सामान्य वर्ग में चयनित होने के कारण बदायूं मिला और शेखर को बहराइच मिला

अब MRC ADVANTAGE के अंतर्गत नीतू और अंकित को उनके मनपसन्द ज़िले दिए जाने है ,अर्थात अलीगढ़ और बदायूं में 1-1 सीट खाली होंगी ,और हो सकता है शेखर ने अलिगढ़ को प्रथम व बदायूं को द्वितीय वरीयता पर रखा हो, और अब सीट खाली होने के कारण शेखर भी कोर्ट मे कहेगा कि नीतू और अंकित के जाने के कारण पहली सूची में उसकी रैंक AUTOMATICALLY सुधर गयी है ,इसलिए उसे भी अलीगढ़ में तैनाती दी जाए।

6. *जज साहब ने जो MRC की आवंटन सूची रद्द की है ,जिसे साफ शब्दो में कहे तो पहली सूची ही रद्द कर दी गयी है ,क्योंकि अगर MRC अभर्थियो को पहली सूची से हटाया जाएगा तो स्वतः ही बाकी बचे सामान्य अभर्थियो की RANK ऊपर हो जाएगी ,जिसका सीधा सा मतलब है कि पहली सूची नियमतः खुद ही रद्द हो जाएगी*

7. सबसे बड़ी मुश्किल अम्बरीष,आशीष त्रिवेदी & टीम के लिए आ खड़ी हुई है, उन लोगों को ये समझ नही आ रहा कि DB में इस ऑर्डर का विरोध करना है या फिर इसे बचाना है।

8.सभी ज़िला आवंटन पीड़ित 6000 की तरह एक साथ रहे, और जैसे अम्बरीष और आशीष त्रिवेदी उनके PERMANENT मुख्य पैरवीकर्ता है,


ज़िला आवंटन पीड़ित भी कुछ लोगों के पैनल बनाकर एक टीम की तरह कार्य करे।
9. अभी कोई भी ज़ल्दबाज़ी में याचिका न डाले और अभी 3 महीने का समय है इसलिए कोई भी MRC अभ्यर्थी अभी प्रत्यावेदन भी न भेजे।


MRC अभ्यर्थी सर्व प्रथम एक पैनल बनाकर रेणुका मैम से मिलकर उनका पक्ष जानने की कोशिश करे।
10. पहले ज़िला आवंटन पीड़ितों से कुछ गलतिया हुई थी, क्योंकी पैरवीकार भी बॉर्डर ज़िलों में नौकरी कर रहे है ,ऐसे में हमेशा कोर्ट में उपस्थित रहना सम्भव नही होगा।जबकि 6000 लखनऊ व इलाहाबाद के आसपास ही तैनात है।
11. ऐसे वकीलो को HIRE कीजिएगा जिन्हें आप घर बैठकर भी CONTROL कर सके।

12. *कुछ CASES में SINGLE BENCH से आदेश के बाद PETITIONER/RESPONDENTS DIRECTLY सुप्रीम कोर्ट गए है, सुप्रीम कोर्ट के वकीलो से इस विषय में परामर्श लिया जाए।*

13. निदेशालय व सचिवालय के कुछ अधिकारी व कर्मचारी 6000 का हर स्तर पर सहयोग करते रहे है और आगे भी करेंगे। इसलिए इन लोगों से सतर्क रहे।

14. *सभी ज़िला आवंटन पीड़ित इतना जानले कि याची बनने से कुछ नही होता,आप मुख्य टीमो का सहयोग कीजिए,यह आदेश भी सभी MRC पर लागू होगा,इसलिए याची बनने के खेल से बाहर निकलिए।*


15. रेणुका मैम प्रभात सर से बिल्कुल अलग है, एक MEETING आप लोग रेणुका मैम से भी कीजिए,वो न्याय प्रिय है,

16. *सभी ज़िला आवंटन पीड़ित इतना समझ ले कि दुश्मन की जड़ पर वर करना चाहिए न कि इधर उधर, एक केस सीधा डालिए अपने लिए अर्थात 68500 के सापेक्ष ज़िला आवंटन की मांग करते रहिए और दूसरा 6000 को हिलाने के लिए ,सीधा 6000 की नियुक्ति के विरुद्ध*

17. वर्तमान स्थिति की बात करे तो ज़िला आवंटन की प्रथम सूची वेंटिलेटर पर है,इसलिए अब केस पर कार्य करने की ज़्यादा ज़रूरत नही है, अब सिर्फ सही रणनीति से आवंटन को रद्द कराना एक लक्ष्य बनाइए ।

18. *अम्बरीष व आशीष त्रिवेदी की चाल ये है कि पहले MRC और GENERAL को लड़वा दिया जाए और फिर कुछ दिन बाद सरकार के माध्यम से कोर्ट मे हलफनामा लगवा दे कि RTE ACT 2009 के अनुसार शिक्षको की ज़रूरत MRC अभ्यर्थियो के इच्छित जनपदों में वर्तमान में नही है, इसलिए MRC को इच्छित जनपदों में नही भेजा जा सकता,क्योंकि अगर MRC इच्छित जनपदों में गए तो INDIRECTLY आवंटन की प्रथम सूची नियमतः स्वतः ही रद्द हो जाएगी ,जो दोबारा आवंटन का कारण बन सकता है।


धन्यवाद


जिला आवंटन पीड़ित

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