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उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना केसों के चलते शिक्षकों ने की सरकार से कर्मचारियों की भांति रोस्टर की मांग

प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना केसों के चलते शिक्षकों ने की सरकार से कर्मचारियों की भांति रोस्टर की मांग

प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, मंगलवार को 3490 नये केस आये तो अब तक कुल संख्या 74 हजार के करीब हो चुकी है। इस बीच शिक्षकों ने सरकार से गुहार से लगायी है कि जिस तरह से सचिवालय में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को बुलाकर काम कराया जा रहा है उसी तरह से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को बुलाया जाना चाहिए।



इस बारे में शिक्षक संगठनों ने भी सरकार से अपील की है शिक्षकों को रोस्टर के हिसाब से बुलाया जायेगा तो उनको आने में कोई परेशानी नहीं होगी। वहीं कई शिक्षक आक्रोशित भी हैं कि शिक्षकों का कहना है कि विद्यालय आते-आते कई शिक्षक बुखार से पीड़ित हैं लेकिन अधिकारियों के आदेश के चलते फिर भी उन्हें आना पड़ रहा है। शिक्षकों कहना है कि मौजूदा समय में सवारी साधन की भी स्थिति इतनी खराब है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है। उसके बाद भी शिक्षकों की ड्यूटी घर-घर अभिभावकों से मिलने के लिए कोरोनावायरस के रूप में लगा दी गयी है। इस संबंध में शिक्षक यह भी कहते हैं कि अन्य सरकारी कर्मचारियों को कोरोना वायरस सरकार ने माना है तो उनके लिए उचित मुवाअजा भी निर्धारित किया गया है, लेकिन यहां तो मौत होने के बाद उनकी पेंशन तक नहीं है।

यात्रा के दौरान कोरोना का ज्यादा खतरा

लखनऊ मंडल में आने वाले लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, लखीमपुर के अधिकांश शिक्षकों का कहना है कि जब वह बस या मैक्सी कैब से यात्रा करके अपने विद्यालय पहुंचते है तो इस दौरान सवारियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है, इस स्थिति में कभी भी कोरोना वायरस फैल सकता है।

बीआरसी पर भी बढ़ा खतरा

वहीं ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर कार्यालय बीआरसी पर भी कोरोना का खतरा बढ़ रहा है, मानव संपदा पोर्टल पर चल रहे कार्य के चलते शिक्षक भारी संख्या में बीआरसी पर पहुंच रहे हैं, जहां न तो सोशल डिस्टेसिंग का पालन हो पा रहा है न ही वेबसाइट चलने से कार्य में तेजी आ पा रही है।

"प्रदेश में कोरोना के तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। शिक्षक जिस तरह सवारी करके विद्यालय पहुंच रहे है, ऐसे में रोस्टर लागू किया जाना बहुत जरूरी हैं नहीं तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।" -महेश मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ

"स्कूल में जो भी कार्य हैं वह रोस्टर के हिसाब से शिक्षक जाये तो भी किए जा सकते हैं, कोई भी शिक्षक अपने कामों से नहीं भाग रहा है, और फिर जब सचिवालय में रोस्टरलागू है तो विद्यालय में क्यों नहीं?" -विनय कुमार सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन

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