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स्कूल-कॉलेज बंद होने से किताबों के कारोबार का बंटाधार

प्रयागराज:कोरोना की दूसरी लहर के कारण कापी-किताबों के कारोबार का भी बंटाधार हो गया। स्कूल-कॉलेज बंद होने से कापी- किताबें बहुत कम बिकीं। इससे स्टेशनरी कारोबारियों के करीब 80 फीसद स्टॉक बचे रह गए हैं। कंपनियों द्वारा कार्पी-किताबें वापस न करने सं व्यापारी परेशान हैं, उनके लाखों-करोड़ों रुपये डंप हो गए हैं। एक अप्रैल से नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत हुई। लेकिन, अप्रैल महीने के प्रारंभ से ही कोरोंना की दूसरी लहर भयावह रूप से आ जाने के कारण स्कूल-कॉलेज सब बंद हो गए। इससे कार्पा-किताबों की बिक्री भी ठप पड़ गई। ज्ञानगंगा पुस्तक भंडार के जगदीश प्रसाद अग्रवाल का कहना है कि हर थोक विक्रेता करीब 50 लाख से लेकर डेढ़-दों करोड़ रुपये की कापी-किताबें मंगवाता है। लेकिन, इस बार शैक्षिक सत्र शुरू होते ही कोरोना महामारी के प्रचंड रूप अखितयार कर लेने से ज्यादतर स्टॉक डंप रह गया। करीब 15-20 फीसद कापी-किताबें ही बिक सकी।
नई शिक्षा मिति लागू होने से यह कितावें नहीं आएंगी काम
गोपाल पुस्तक भंडार के अभिषेक वार्णोय का कहना है कि अगले शैक्षिक सत्र से नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी है। इसमें यूपी, आइसीएसई और सीबीएसई बोर्ड के पाद्यक्रम भी एक किए जाने की पूरी संभावना है। हाईस्कूल की परीक्षा भी समाप्त करने की योजना है। इससे इस बार की किताबें अगले साल काम नहीं आएंगी।

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